`लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी की 13 प्रतिशत, घटाकर 7.5 प्रतिशत पर लाने पर काम कर रही सरकार`
Amit Shah: शाह ने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे में विकास और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी के बिना विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी की 13 प्रतिशत है, जबकि बाकी की दुनिया में यह आठ प्रतिशत है.
Modi Govt: केंद्र सरकार जीडीपी (GDP) में लॉजिस्टिक्स लागत को 13 प्रतिशत से कम करके 7.5 प्रतिशत पर लाने के लिए काम कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उद्योग मंडल एसोचैम के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही. इसमें, शाह ने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे में विकास और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी के बिना विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी की 13 प्रतिशत है, जबकि बाकी की दुनिया में यह आठ प्रतिशत है. इससे भारत के निर्यात के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना कठिन हो जाता है.
अगले पांच वर्ष में लागत कम करने का लक्ष्य
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘हमें 13 प्रतिशत और आठ प्रतिशत के इस अंतर को दूर करना होगा. हमने अगले पांच वर्ष के लिए एक रूपरेखा बनाई है. मैं यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अगले पांच वर्ष में हम लॉजिस्टिक्स लागत को घटाकर 7.5 प्रतिशत पर ले आएंगे.' शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, जिसमें रेलवे लाइनों का दोहरीकरण, उनका चौड़ीकरण, मुंबई से दिल्ली और अमृतसर से कोलकाता के बीच माल गलियारों के अलावा 11 अन्य औद्योगिक गलियारे जैसी कुछ बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं.
2047 तक भारत बनेगा विकसित राष्ट्र
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में मिली अन्य उपलब्धियों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि सरकार ने 2028 तक लॉजिस्टिक्स लागत को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाने का लक्ष्य रखा है जिससे निर्यात को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके. उन्होंने विश्वास जताया कि मोदी सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र और 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मजबूत नींव रखी है.
उन्होंने कहा कि अब लगभग हर व्यवसाय में यूपीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. शाह ने कहा, ‘2022 में 8,840 करोड़ डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत यानी 1.26 लाख करोड़ रुपये है.’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में पहली बार जीडीपी के निराशाजनक आंकड़ों को सामाजिक योजनाओं के जरिए मानवीय चेहरा दिया. (PTI)
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