DAP Urea: सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किसानों के ल‍िए बड़ा ऐलान क‍िया है. इससे आने वाले समय में खेती की लागत 20 प्रत‍िशत तक कम हो सकती है. उन्‍होंने क‍िसानों से ल‍िक्‍व‍िड नैनो डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और ल‍िक्‍व‍िड नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ाने की अपील की. उन्‍होंने कहा, इन चीजों के इस्‍तेमाल से उर्वरक उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी. इफको के नैनो ल‍िक्‍व‍िड डीएपी उर्वरक को ब‍िक्री के ल‍िए 500 मिली की बोतल में पेश क‍िया. शाह ने कहा कि ल‍िक्‍व‍िड फॉर्म में म‍िलने वाला डीएपी कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने में मदद करेगा.


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500 मिली की बोतल का रेट 600 रुपये


उन्‍होंने बताया 500 मिली की बोतल का रेट 600 रुपये है. ल‍िक्‍व‍िड डीएपी की कीमत पारंपरिक डीएपी की कीमत से आधी से भी कम है. आज के समय में पारंपरिक डीएपी (50 किलो) के एक बैग की कीमत 1,350 रुपये है. ल‍िक्‍व‍िड डीएपी के उपयोग से आयात खर्च कम करने के साथ ही म‍िट्टी के संरक्षण, उच्च फसल उपज, आसान परिवहन और भंडारण में भी सुव‍िधा म‍िलेगी. शाह ने कहा कि भारत की 60 प्रतिशत आबादी कृषि और संबंधित गतिविधियों से जुड़ी है. यह 'क्रांतिकारी विकास' देश को उर्वरक के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' बनाने में मदद करेगा.


फसल उत्पादन के खर्च को घटाने में म‍दद म‍िलेगी
साल 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी बिल 2.25 लाख करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा कि नैनो डीएपी यूज करने से किसानों को फसल उत्पादन पर होने वाले खर्च में को घटाने में म‍दद म‍िलेगी. इससे लागत 6 से 20 प्रतिशत तक कम हो जाएगी. शाह ने कहा इफको को 20 साल के लिए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के लिए पेटेंट मिला है. इफको सहकारी संस्था को उत्पादों के इस्तेमाल में लाने के एवज में रॉयल्टी मिलेगी. इफको ने कहा कि उसने गुजरात के कलोल, कांडला और उड़ीसा के पारादीप में नैनो डीएपी उर्वरकों के उत्पादन के लिए निर्माण सुविधाएं शुरू की हैं.


कलोल संयंत्र में इस साल 25 लाख टन डीएपी के बराबर नैनो डीएपी ल‍िक्‍व‍िड की 5 करोड़ बोतल तैयार की जाएंगी. नैनो डीएपी में एक बोतल में 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है. जो मौजूदा डीएपी के 50 किलो वाले बैग के बराबर होता है. इफको चेयरमैन दिलीप संघानी ने कहा कि नैनो डीएपी को किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करने के उद्देश्य से पीएम मोदी के ‘सहकार से समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया गया है.