नई दिल्ली: रिलायंस कम्युनिकेशंस ने गुरुवार को अपने खाते में पड़े 260 करोड़ रुपये दूरसंचार उपकरण बनाने वाली स्वीडन की कंपनी एरिक्सन के खाते में डालने को लेकर बैंकों से तत्काल मंजूरी मांगी है. उच्चतम न्यायालय के बुधवार के आदेश के ठीक बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है. न्यायालय ने आर कॉम चेयरमैन अनिल अंबानी तथा दो अन्य को एरिक्सन का बकाया 550 करोड़ रुपये चुकाने के आदेश का पालन नहीं करने को लेकर अवमानना का दोषी ठहराया है. न्यायालय ने कहा है कि अगर स्वीडन की कंपनी का 453 करोड़ रुपये चार सप्ताह में न चुकाने पर उन्हें तीन माह के लिये जेल भेज दिया जाएगा. कंपनी 118 करोड़ रुपये पहले ही शीर्ष अदालत के पास जमा कर चुकी है.


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रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘रिलायंस कम्युनिकेशंस समूह ने आयकर रिफंड से बैंक खातों में आए 260 करोड़ रुपये सीधे एरिक्सन के खाते में डालने को लेकर अपने कर्जदाताओं से तत्काल मंजूरी देने का आग्रह किया है.’’प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आर कॉम को भरोसा है कि वह एरिक्सन को देने के लिये शेष 200 करोड़ रुपये समय पर जुटा लेगी ताकि ब्याज समेत पूरा पैसा स्वीडन की कंपनी को उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार चार सप्ताह में मिल जाए.’’


यह है पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला स्वीडिश टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन इंडिया और रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) से जुड़ा हुआ है. एरिक्सन इंडिया का आरकॉम पर बकाया है. कंपनी ने बकाया के भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. पूरे मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आरकॉम को भुगतान करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था. तय समय पर रिलायंस कम्युनिकेशन की तरफ से बकाया नहीं दिए जाने पर एरिक्सन ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.


23 अक्टूबर को दिया था आदेश
इस बार अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए 23 अक्टूबर 2018 को रिलायंस कम्युनिकेशन को आदेश दिया कि एरिक्सन इंडिया का बकाया 15 दिसंबर तक क्लीयर किया जाए. साथ ही यह भी कहा कि देरी से भुगतान पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी दें. इसके बाद भी आरकॉम की तरफ से भुगतान नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम को आंशिक भुगतान का निर्देश दिया था. इसका पालन करते हुए आरकॉम न्यायालय की रजिस्ट्री में 131 करोड़ रुपये जमा किए.


जब एरिक्सन ने स्वीकार नहीं कि राशि
एरिक्सन के वकील ने यह राशि स्वीकार करने से इनकार कर दिया. यह राशि जमा करते हुए रिलायंस कम्युनिकेशन के प्रवक्ता ने कहा कि आरकॉम ने अपने परिचालन के लिए रखे धन में से यह रकम जमा की है. एरिक्सन की तरफ से इस राशि को स्वीकार नहीं किए जाने पर पीठ ने आरकॉम को रजिस्ट्री में इस राशि का डिमांड ड्राफ्ट जमा कराने के लिए कहा. साथ ही एरिक्सन की तरफ से याचिका दायर कर अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग के साथ ही बकाया भुगतान करने तक सिविल जेल में हिरासत की मांग की गई.


अवमानना संबंधी याचिका के मामले में अनिल अंबानी 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 13 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया. उसके बाद अदालत ने 20 फरवरी को अवमानना का दोषी करार देते हुए बकाया 453 करोड़ रुपये का चार हफ्ते में भुगतान करने का आदेश दिया है. एरिक्सन ने इस दौरान कहा कि आरकॉम ने रिलायंस जियो को संपत्ति बेचने के बावजूद भी उसका 550 करोड़ का भुगतान नहीं किया.


(इनपुट-भाषा से भी)