Anil Ambani Deal: भारी कर्ज और दिवालियापन का मामला झेल रहे रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) के मालिक अनिल अंबानी (Anil Ambani)  की परेशानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. अनिल अंबानी का बुरा वक्त खत्म ही नहीं हो रहा है. अनिल अंबानी के हाथों से एक बार फिर से बड़ी डील फिसल गई है. इस डील के फिसलने के साथ ही अनिल अंबानी के हाथों से 4000 करोड़ रुपये भी फिसल गया है. दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने अपने फैसले को लेकर यू-टर्न ले लिया है. सरकार के इस यू-टर्न के साथ ही अनिल अंबानी को बड़ा झटका लगा और 4000 करोड़ रुपये की डील अटक गई,  द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने इस डील से फिलहाल अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं.जहां उम्मीद की जा रही थी कि अनिल अंबानी अपना कर्ज कम करेंगे, वहीं कुछ रकम अपने नए कारोबार में निवेश करेंगे, लेकिन अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया गया. सरकार ने अपने हाथ इस डील से खींच लिए हैं. 


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अनिल अंबानी की हिस्सेदारी नहीं खरीदेगी सरकार  


महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई मेट्रो वन में अनिल अंबानी की कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने के सौदे को मंजूरी दे दी थी. सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद मुंबई मेट्रो वन में अनिल अंबानी की हिस्सेदारी बिकने का रास्ता साफ हो गया है. इस डील से अनिल अंबानी करीब 4000 करोड़ रुपये मिलने वाले थे. लेकिन अब इस डील में नया ट्वीस्ट आ गया है.  राज्स सरकार ने यू-टर्न लेते हुए अपने ही फैसले को बदल दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने 4 महीने पहले ही मुंबई मेट्रो वन में अनिल अंबानी की कंपनी की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की हामी भरी थी, लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है. सरकार विधानसभा चुनाव से पहले किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती है, विपक्ष इस मुद्दे पर पहले भी हमलावर रहा है. ऐसे में सरकार ने इस डील से पीछे हटने का फैसला कर लिया है. 


सरकार ने बदला अपना फैसला, अनिल अंबानी को लगा 4000 करोड़ का झटका  


अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra) को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है. सरकार ने मुंबई मेट्रो वन ( Mumbai Metro One) में रिलायंस इंफ्रा की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के अपने फैसले को बदल दिया है. 4 महीने पहले सरकार ने प्राइवेट कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दी थी, लेकिन अब सरकार ने यू-टर्न ले लिया है.  अनिल अंबानी की कुछ किस्‍मत ही खराब! फिर से अटक गई ₹9650 करोड़ की डील, रिलायंस कैपिटल सौदे में फंसा नया पेच


 


4000 रुपये में होने वाली थी डील


बता दें कि मुंबई मेट्रो वन एक पीपीपी यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट है. इसमें सरकार और निजी सेक्टर दोनों की हिस्सेदारी है. मुंबई मेट्रो वन में सरकारी हिस्सेदारी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी MMRDA के जरिए है. इसके पास मुंबई मेट्रो वन में 26 फीसदी हिस्सेदारी है. वहीं अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रा के पास 74 फीसदी हिस्सेदारी है.इस हिस्सेदारी को सरकार खरीदने वाली थी, जिससे मुंबई मेट्रो वन पूरी तरह से सरकारी प्रोजेक्ट हो जाता. मुंबई मेट्रो वन मुंबई की पहली मेट्रो परियोजना है. साल 2007 में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल के तहत इसका निर्माण हुआ था. जिसका परिचालन मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड ( MMOPL) नामक कंपनी करती है. MMOPL महाराष्ट्र सरकार की एमएमआरडीए और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की संयुक्त कंपनी है. सरकार अनिल अंबानी की हिस्सेदारी को 4000 करोड़ रुपये में खरीदने वाली थी, जिसे अब होल्ड कर दिया गया है.  सरकार इससे पीछे हट गई है.  


क्यों पीछे हटी सरकार  


सबसे अधिक भीड़- भाड़ वाली मेट्रो होने के बावजूद इसमें कई खामियों को लेकर ये परियोजना अक्सर विवादों में रही है. इतना ही नहीं एमएमआरडीए-रिलायंस इंफ्रा की संयुक्त उद्यम परियोजना के घाटे का दावा होता रहा है. इतना ही नहीं इस परियोजना की लागत को लेकर भी विवाद होता रहा है.  महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकार के इस परियोजना में निजी कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने की काफी आलोचना भी की. विपक्ष सरकार पर  अनिल अंबानी समूह का पक्ष लेने का आरोप लगाती रही है.  ऐसे में सरकार विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती है. ऐसे में सरकार ने इस डील से पीछे हटने का फैसला किया, हालांकि सरकार के इस फैसले से अनिल अंबाी को बड़ा झटका लगा है.  इस डील से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल वो अपनी कंपनी के कर्ज के बोझ को कम करने में करने वाले थे, लेकिन फिलहाल इसपर पानी फिर गया है.