मोबिक्विक ने किया सबसे बड़ी डिजिटल वॉलेट कंपनी होने का दावा
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मोबिक्विक ने किया सबसे बड़ी डिजिटल वॉलेट कंपनी होने का दावा

देश में बढ़ते डिजिटल ट्रांजैक्शन के बीच फिनटेक कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ रहा है, लोगों में कैश रखने की आदत छूट रही है तो वहीं डिजिटल ट्रांजैक्शन के आकड़े बढ़ रहे हैं.

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MobiKwik: देश में बढ़ते डिजिटल ट्रांजैक्शन के बीच फिनटेक कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ रहा है, लोगों में कैश रखने की आदत छूट रही है तो वहीं डिजिटल ट्रांजैक्शन के आकड़े बढ़ रहे हैं. पेटीएम पर आरबीआई की सख्ती ने जहां उसके कारोबार पर असर डाला तो अब वहीं एक दूसरी फिनटेक कंपनी मोबिक्विक ने दावा किया है कि वो देश की सबसे बड़ी डिजिटल वॉलेट कंपनी बन चुके हैं. MobiKwik ने दावा किया है कि लेनदेन मूल्य के आधार पर सबसे बड़ी डिजिटल वॉलेट कंपनी बन चुके हैं.  

कितना हुआ ट्रांजैक्शन 

 मोबिक्विक अप्रैल और मई में मूल्य के आधार पर पीपीआई वॉलेट लेनदेन के मामले में सबसे बड़ा डिजिटल वित्तीय सेवा मंच बन गया है. कंपनी ने सोमवार को यह दावा किया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए मोबिक्विक ने कहा कि उसने दो महीने में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) वॉलेट के जरिये वित्तीय लेनदेन में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है. कंपनी की मूल्य के आधार पर बाजार हिस्सेदारी मार्च, 2024 के 11 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 20 प्रतिशत और मई में 23 प्रतिशत हो गई. मोबिक्विक की सह-संस्थापक एवं मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) उपासना टाकू ने कहा कि नए उत्पाद ‘पॉकेट यूपीआई’ ने इसकी पहुंच बढ़ाने और उपयोगकर्ताओं के लिए भुगतान को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

‘पॉकेट यूपीआई’ उपयोगकर्ताओं को अपने बैंक खाते को जोड़े बिना यूपीआई तंत्र पर अपने वॉलेट के जरिये त्वरित भुगतान करने की सुविधा देता है.उन्होंने कहा कि छोटे तथा मझोले शहरों में मंच को व्यापक तौर पर अपनाए जाने से भी वृद्धि को बल मिला. टाकू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ मोबिक्विक फास्टैग जारी करने के कारोबार में नहीं है. फास्टैग से संबंधित लेनदेन मूल्य को छोड़कर मई, 2024 में मूल्य के हिसाब से पीपीआई वॉलेट लेनदेन के लिए मोबिक्विक की 48 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी होगी.’’ उल्लेखनीय है कि वन मोबिक्विक सिस्टम्स लिमिटेड ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 700 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष जनवरी में शुरुआती दस्तावेज दाखिल किए थे.

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