नई दिल्ली: Natural Product Business: अगर आप अपना बिजनेस स्टार्ट करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. हम आपको एक शानदार बिजनेस प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं. इस बिजनेस को स्टार्ट करने में आपको कोई खास खर्चा करने की जरूरत नहीं है और इससे आप लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. ये बिजनेस है नेचुरल मेडिसिनल प्लांट की खेती का. आजकल नेचुरल प्रोडेक्ट की काफी मांग भी है. इसलिए कई कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर औषधियों की खेती करा रही है. इनकी खेती शुरू करने के लिए आपको कुछ हजार रुपए ही खर्च करने की जरूरत है, लेकिन कमाई लाखों में होती है.


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इस खेती को शुरू करने के लिए लंबी चौड़ी जमीन की जरूरत नहीं है. इसमें थोड़ी सी लागत से लॉन्ग टर्म में कमाई की जा सकती है.


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इनकी है सबसे ज्यादा डिमांड


नेचुरल दवाइयां और प्रोडेक्ट की हमेशा से मांग थी लेकिन कोरोना में इनकी डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है. आजकल हर घर में हर्बल प्रोडेक्ट इस्तेमाल किए जाते हैं. इन प्रोडेक्ट के लिए तुलसी, आर्टीमीसिया एन्‍नुआ, एलोवेरा, मुलेठी, अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु और शंखपुष्पी जैसी चीजों की जरूरत होती है. इनमें से कुछ पौधे छोटे-छोटे गमलों में भी उगाए जा सकते हैं. इनको आप आसानी से अपने घर में या फिर प्लॉट में उगा सकते हैं. कुछ लोग तो इन हर्बल पौधों को घरों की छत पर गमलों में उगा रहे हैं. इसके लिए आपको कुछ हजार रुपये ही खर्च करना होगा लेकिन इससे आप लाखों रुपये की कमाई कर पाएंगे. इस समय देश में कई कंपनियां इन फसल को उगाने और खरीदने तक का कांट्रेक्ट देती हैं. 


हर्बल प्रोडेक्ट का है करोड़ों का मार्केट


इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर्बल उत्पादों का बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें सालाना 15 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही है. जड़ी-बूटी और सुगंधित पौधों के लिए प्रति एकड़ बुआई का रकबा अभी भी इसके मुकाबले काफी कम है. हालांकि यह सालाना 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 1058.1 लाख हेक्टेयर में फसलों की खेती होती है. इनमें सिर्फ 6.34 लाख हेक्टेयर में जड़ी-बूटी और सुगंधित पौधे लगाए जाते हैं.


इतनी होगी आपकी कमाई


इन सभी हर्बल प्रोडेक्ट की खेती से ही अच्छी खासी कमाई होती है. आप तुलसी के पौधे के बारे में जरूर जानते होंगे. तुलसी को ज्यादातर धर्म से जोड़कर देखते हैं लेकिन इसमें तमाम मेडिसिनल गुण होते हैं. इसमें यूजीनोल और मिथाइल सिनामेट होता है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर की दवाई बनाई जाती है. इस लिहाज से इसकी मार्केट में काफी डिमांड होती है. 1 हेक्‍टेयर पर तुलसी उगाने में केवल 15 हजार रुपए खर्च होते हैं लेकिन, 3 महीने बाद ही यह फसल लगभग 3 लाख रुपए तक बिक जाती है.


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इसी तरह अतीश जड़ी-बूटी की खेती से आसानी से 2.5 से 3 लाख रुपये प्रति एकड़ की आमदनी हो जाती है. अतीश का ज्यादातर इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में होता है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाके में किसान इसकी खेती कर रहे हैं. इसके अलावा लैवेंडर की खेती करने वाले किसानों को आसानी से 1.2-1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ मिल जाते हैं. लैवेंडर से तेल निकाला जाता है. इनसे कई तरह के सुंगधित उत्पाद बनाए जाते हैं. इन सभी हबर्ल पौधों की खेती के लिए पतंजलि, डाबर, वैद्यनाथ जैसी आयुर्वेद दवाएं बनाने वाली कंपनियां कांट्रेक्‍ट फार्मिंग करा रही हैं.


यहां से ले सकते हैं ट्रेनिंग


हर्बल खेती करने के लिए आप ट्रेनिंग कर सकते हैं. ट्रेनिंग से आप इन फसलों के बारे में और बेहतर जान पाएंगे. इसके लिए आप लखनऊ के सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्‍लांट (सीमैप) से इन फसलों की खेती के लिए ट्रेंग ले सकते हैं. सीमैप के माध्‍यम से ही दवा कंपनियां आपसे कांट्रेक्‍ट साइन भी करती हैं, इससे आपको इधर उधर नहीं जाना पड़ेगा.


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