नई दिल्ली. ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने का प्रचलन काफी बढ़ गया है. ऑनलाइन फूड डिलीवर करने वाली zomato और swiggy जैसी कंपनिया इस बिजनेस से करोड़ों कमाती हैं. कई दिनों से ऐसी खबरें चल रहीं थीं कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाले एप अब 5% GST के दायरे में आ जाएंगे. बीते शुक्रवार को हुई GST की मीटिंग में सीधे तौर पर ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है लेकिन फिर भी इन कंपनियों की टेंशन बढ़ गई है.


क्या है मामला


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फूड एग्रीगेटर यानी फूड डिलीवरी करने वाली कंपनीयां को GST के दायरे में लाया गया है. केंद्रीय राजस्व सचिव तरुण बजाज ने स्पष्ट किया कि यह कोई नया टैक्स नहीं है. रेस्टोरेंट ग्राहकों से जीएसटी लेकर उसका भुगतान सरकार को करते हैं, लेकिन यह पाया गया कि रेस्टोरेंट ग्राहक से टैक्स तो लेते थे लेकिन सरकार को उसका भुगतान नहीं करते थे. इसलिए अब एग्रीगेटर (फूड डिलिवरी कंपनियों) उस जीएसटी को ग्राहक से लेकर सरकार को देंगे. सरकार ने ये फैसला टैक्स चोरी को रोकने के लिए किया है.


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ग्राहकों पर नहीं होगा कोई असर


GST काउंसिल के इस फैसले के बाद आम-आदमी की जेब पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि खाना ऑर्डर करते समय ग्राहक GST का भुगतान करता है. अब भी ग्राहक पहले की तरह ही ये टैक्स देता रहेगा. अंतर बस इतना है कि पहले ये टैक्स रेस्तरां के पास जाता था और अब ये  स्विगी और जोमैटो जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को दिया जाएगा, जिन्हें टैक्स सरकार को जमा करना होगा. ये नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होगा.


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ये भी हुए फैसले


शुक्रवार को लखनऊ में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया है. वहीं कोरोना और कैंसर के इलाज में काम आने वाली दवाओं समेत कुछ अन्य जीवनरक्षक दवाईयां अब सस्ती होंगी. इसके साथ ही माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों की ओर से वसूले जा रहे नेशनल परमिट शुल्क से छूट दी है.


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