नई दिल्ली: BSNL 4G Services: संसद के बजट सत्र में आजकल सरकार निजीकरण को लेकर अपना पक्ष साफ करने में जुटी है. सरकारी बैंकों, रेलवे के बाद अब सरकार ने सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL के निजीकरण को लेकर कहा है कि BSNL के निजीकरण की कोई योजना नही हैं. संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने लोकसभा में एक लिखित जवाब सौंपा है. 


'BSNL की 4G सेवाएं 18-24 महीने में शुरू होंगी'


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संजय धोत्रे ने ये भी बताया कि BSNL ने 4G टेंडर में भागीदार के लिए इच्छा रखने वाली भारतीय कंपनियों से रजिस्ट्रेशन/प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट्स (PoC) के लिए 1 जनवरी, 2021 को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) मंगवाए थे. BSNL को उम्मीद है कि अगले 18-24 महीने में 4G सेवाओं की शुरुआत हो जाएगी. सरकार ने 2019 में BSNL के लिए रिवाइवल प्लान को मंजूरी दी थी. इसके तहत टेलीकॉम कंपनी BSNL को बजट आवंटन के जरिए 4G सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन की योजना शामिल है. 


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'इंटरनेट शटडाउन पर कानून नहीं बनाएंगे'


एक दूसरे सवाल के जवाब में राज्य मंत्री धोत्रे ने जवाब दिया कि दूरसंचार विभाग की देश में इंटरनेट शटडाउन को रेगुलेट करने के लिए कोई कानून बनाने की योजना नहीं है. हालांकि दूरसंचार विभाग ने अगस्त 2017 में इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत देश में इंटरनेट शटडाउन प्रक्रिया के लिए टेंपररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी ऑर पब्लिक सेफ्टी) रूल्स, 2017 को अधिसूचित किया था, जिसे 10 नवंबर 2020 को एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए संशोधित किया गया था. 


'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आतंकी भी मौजूद'


इस संशोधन को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों/प्रशासकों को भेज दिया गया है क्योंकि सुप्रीमकोर्ट ने निर्देश दिया था कि टेलीकॉम सेवाओं को बंद करने से जुड़ा आदेश समानता के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए और इसे जरूरत से अधिक समय तक नहीं लगाया जाना चाहिए. उन्होंने शिक्षा वित्तीय लेन-देन, कारोबार के लिए इंटरनेट की भूमिका के बारे में कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इंटरनेट पर मौजूद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल आतंकी या गैर-सामाजिक तत्व भी नफरत और हिंसा फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे सामाजिक सद्भावना का नुकसान हो रहा है. 


'5G के आने से 2G खत्म नहीं होगा' 


उन्होंने संसद में बताया कि 5G आने पर 2G को खत्म करने की संभावना नहीं है, उन्होंने कहा कि देश भर में जिन टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं वे 2G, 3G और 4G तकनीकी से सेलुलर सेवाएं दी रही हैं. यह टेलीकॉम कंपनियों के ऊपर हैं वो अपने ग्राहकों को किस तकनीक के जरिए सेवाएं पहुंचाना चाहती हैं. 


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