Budget 2023: बढ़ती महंगाई के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने हैं 5 बड़ी चुनौतियां, कैसे पाएंगी काबू?
Budget: वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे बड़ी नौकरी सृजित करने वाली कंपनी के विनिर्माण क्षेत्र में केवल 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो उच्च इनपुट लागत से कम है. जबकि निजी खपत में सुधार हुआ है, उच्च ब्याज दरों और छंटनी से अगले साल इस पर दबाव पड़ने की संभावना है. ऐसे में आर्थिक मंदी से निपटना भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने एक चुनौती है.
Union Budget: मोदी सरकार 2.0 की ओर से आज अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किया जाएगा. इस बार का बजट लोकसभा चुनाव 2024 से पहले काफी अहम माना जा रहा है. साथ ही इस बार के बजट से लोगों को काफी उम्मीदें भी हैं. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आज 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया जाएगा. हालांकि बढ़ती महंगाई के बीच निर्मला सीतारमण के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिन पर काबू पाना काफी जरूरी है. आइए जानते हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं...
महंगाई
भारत में महंगाई बढ़ती जा रही है और महंगाई कोविड के दौरान देखे गए स्तरों पर वापस आ गई है. पिछले साल खुदरा मुद्रास्फीति 2021 में 5.1 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गई. 12 में से 10 महीनों के लिए मुद्रास्फीति आरबीआई के जरिए निर्धारित 6 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर थी. पेट्रोल/डीजल और रसोई गैस सिलेंडर पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से कीमतें क्रमशः 100 रुपये/लीटर और 1,000 रुपये/सिलेंडर (गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी) के स्तर को पार कर गई हैं. प्रति व्यक्ति आय अभी भी पूर्व-कोविड स्तरों से नीचे है. ऐसे में बढ़ती महंगाई को काबू में करना वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती होगी.
बेरोजगारी
सीएमआईई के अनुसार भारत में बेरोजगारी दर जनवरी 2022 में 6.56 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2022 में 8.3 प्रतिशत हो गई है. शहरी बेरोजगारी दर ग्रामीण बेरोजगारी की तुलना में 2.5 प्रतिशत से अधिक है. भारत में कई राज्य बेरोजगारी भत्ता दे रहे हैं. हाल ही में मोदी सरकार की ओर से 10 लाख सरकारी नौकरियों को भरने की घोषणा की गई है. हालांकि वहीं प्राइवेट सेक्टर में छंटनियों का दौर देखने को मिल रहा है. ऐसे में बेरोजगारी से निपटना भी वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती है.
अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था अभी विकासशील देशों में शामिल है. हालांकि भारत को लगातार विकसित देशों की सूची में लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में बजट के जरिए आने वाले सालों का रोडमैप भी दिखाया जा सकता है और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दिलाकर उसे विकसित देशों की कतार में शामिल करने के लिए नीतियां बनाना भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने एक बड़ी चुनौती है.
राजस्व में इजाफा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का फोकस राजस्व में इजाफे पर भी रह सकता है. राजस्व में इजाफे से सरकार कई नीतियां भी लागू कर सकती हैं, जिससे देश के हित में कदम बढ़ाए जा सकते हैं. ऐसे में राजस्व में इजाफा लाना भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने एक बड़ी चुनौती है.
मंदी से निपटना
IMF के अनुसार वैश्विक विकास दर 2022 में 3.6 प्रतिशत से घटकर 2023 में 2.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. जबकि भारत अभी विश्व अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान है, इसकी जीडीपी 2023 में मध्यम से 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है क्योंकि उच्च ब्याज दरें और वैश्विक आर्थिक मंदी निवेश और निर्यात पर दबाव डालती है. विश्व व्यापार संगठन के अनुसार वैश्विक व्यापार वृद्धि 2023 में 2022 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 1 प्रतिशत रहने की संभावना है, जिससे हमारे निर्यात पर दबाव पड़ने की संभावना है.
वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे बड़ी नौकरी सृजित करने वाली कंपनी के विनिर्माण क्षेत्र में केवल 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो उच्च इनपुट लागत से कम है. जबकि निजी खपत में सुधार हुआ है, उच्च ब्याज दरों और छंटनी से अगले साल इस पर दबाव पड़ने की संभावना है. ऐसे में आर्थिक मंदी से निपटना भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने एक चुनौती है.
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