Byju's crisis: कर्ज के संकट से गुजर रही एडटेक कंपनी बायजू का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. बायजू रवींद्रन ने दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण यानी NCLAT में एक और कैविएट दायर किया है. कैविएट आवेदन किसी वादी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि उसका पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध कोई आदेश पारित न किया जाए.


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इससे पहले 2 अगस्त को ही एडटेक कंपनी बायजू को बड़ी राहत देते हुए NCLAT ने बीसीसीआई के साथ 158 करोड़ रुपये के सेटलमेंट प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके साथ ही NCLAT ने बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही के आदेश को भी रद्द कर दिया था.


दरअसल, बायजू को आशंका है कि NCLAT के इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी याचिका दायर कर सकती है. इसे देखते हुए रवींद्रन ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर कर दी है.


क्या है मामला?


ग्लास ट्रस्ट ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि रिजू रवींद्रन (बायजू रवींद्रन के भाई) द्वारा भुगतान किया गया पैसा गलत तरीके से जुटाया गया और यह ‘राउंड-ट्रिपिंग’ का मामला है. हालांकि, एनसीएलएटी ने अपने फैसले में कहा था कि लेनदारों की समिति (सीओसी) के गठन से पहले ही दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया था. साथ ही भुगतान का स्रोत 'विवादित नहीं है' और न ही विदेशी धन से संबंधित है.


NCLAT ने क्या कहा था?


रिजू रवींद्र द्वारा किए गए वादों के मद्देनजर NCLAT ने समझौते को मंजूरी दी है. NCLT की जस्टिस शरद कुमार शर्मा और जतींद्रनाथ स्वैन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 16 जुलाई का आदेश रद्द किया जाता है लेकिन  अगर बायजूज भुगतान की शर्तों का उल्लंगन करती है तो बीसीसीआई दोबारा बायजूज को दिवालिया प्रक्रिया में ले जा सकती है.