बीजिंग: चीन की एक बेल्ट - एक सड़क (ओबीओआर) पहल पर 2013 से कुल 60 अरब डॉलर का निवेश किया गया है और उसकी अगले पांच साल में इस पर 600 से 800 अरब डॉलर का निवेश और करने की योजना है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बेल्ट एंड रोड फोरम की दो दिन की बैठक से पहले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग के उपाध्यक्ष निंग जिज्हे के हवाले से लिखा है कि एक वर्ष में चीनी निवेश के 120 अरब से 130 अरब डॉलर हो जाने की संभावना है. अगले पांच साल में ‘कुल निवेश 600 अरब से 800 अरब डॉलर तक हो जाएगा.’ 


उन्होंने कहा, ‘यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के निरंतर सुधार, मुक्त व्यापार एवं निवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.’ जिज्हे ने कहा कि चीनी नियामकों के बाहरी निवेश पर रोक लगाए जाने से क्षेत्र एवं सड़क परियोजनाएं प्रभावित नहीं होंगी.


वित्तपोषण के बारे में जिज्हे ने कहा कि चीनी विकास बैंक और चीनी निर्यात-आयात बैंक 2016 के अंत तक इन परियोजनाओं के लिए 110 अरब डॉलर का ऋण देंगे. इस परियोजना के रास्ते में आने वाले देशों के साथ चीन ने मुद्रा अदला-बदली के समझौते किए हैं जो कुल मिलाकर 900 अरब युआन के होंगे.


यह भी पढ़ें... चीन के 'बेल्ट एंड रोड फोरम' में हिस्सा नहीं लेगा भारत, सीपीईसी मुद्दे पर बिगड़ी बात


भारत 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' (सीपीईसी) पर संप्रभुता संबंधी अपनी चिंताओं के मद्देनजर रविवार (14 मई) से यहां शुरू हो रहे हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड’ शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेगा. सीपीईसी ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ (बीआरएफ) पहल की अहम परियोजना है जिसकी दो दिवसीय बैठक में एक अहम भूमिका निभाने की संभावना है. बहरहाल, इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि भारत इस सम्मेलन में भाग नहीं लेगा. 


चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पहले घोषणा की थी कि भारत का एक प्रतिनिधि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की प्रतिष्ठित पहल ‘बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) में भाग लेगा. वांग ने 17 अप्रैल को यहां संवाददाताओं से कहा था, ‘भारतीय नेता यहां नहीं हैं लेकिन भारत का एक प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेगा.’ उन्होंने यह नहीं बताया था कि भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा.


भारत के लिए यह एक मुश्किल फैसला था क्योंकि पिछले कुछ दिनों में चीन ने कई पश्चिमी देशों को इसमें शामिल होने के लिए राजी कर लिया है. इनमें अमेरिका भी शामिल है. अमेरिका ने लाभकारी व्यापार सौदा करने के बाद अपना एक शीर्ष अधिकारी भेजने पर कल सहमति जताई है.  बैठक में भारत की अनुपस्थिति को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गांग शुआंग ने शुक्रवार (12 मई) को मीडिया को बताया कि भारतीय विद्वान बैठक में भाग लेंगे.