China Stock Market: चीन के बाजारों में मचा हाहाकार, लगातार 9वें दिन बिकवाली जारी, विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसा...
China Economic Crisis: आर्थिक परेशानियों के साथ घरेलू मांग में कमी की वजह से चीन इस समय गंभीर वैश्विक अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है. ग्लोबल मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के बीच में चीन के बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है.
China Stock Market: इस समय चीन की अर्थव्यवस्था (China Economy) बुरे दौर से गुजर रही है. आर्थिक परेशानियों के साथ घरेलू मांग में कमी की वजह से चीन इस समय गंभीर वैश्विक अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है. ग्लोबल मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के बीच में चीन के बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार के प्रयासों के बीच चीनी शेयरों से विदेशी फंडों की निकासी लगातार जारी है.
लगातार 9वें दिन जारी है बिकवाली
विदेशी निवेशकों ने 17 अगस्त को दोपहर तक ट्रेडिंग लिंक के जरिए शंघाई और शेन्ज़ेन में सूचीबद्ध 1 बिलियन युआन ($137 मिलियन) से भी ज्यादा की इक्विटी बेच दी है. आज लगातार 9वें दिन इस तरह की बिकवाली देखने को मिली है. दिसंबर 2016 के बाद यह बिकवाली का सबसे बड़ा दौर है.
9 दिनों में 45 अरब युआन के बेचे शेयर
आपको बता दें विदेशी निवेशकों ने पिछले नौ दिनों में चीन के 45 अरब युआन से अधिक के शेयर बेचे हैं. हांगकांग में कारोबार करने वाले चीनी शेयरों के इंडेक्स इस महीने 9 फीसदी से भी ज्यादा गिर गए हैं. इसके साथ ही बड़ी शेयर मार्केट कंपनियां बेंचमार्क, हैंग सेंग इंडेक्स सभी निचले पायदान पर कारोबार कर रहे हैं.
चीन कर रहा सबसे खराब समय का सामना
निवेश बैंक नोमुरा के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में लिखा, "चीनी अर्थव्यवस्था अभी तक आने वाले सबसे खराब दौर का सामना कर सकती है. बता दें इस समय चीन में बाजार, निवेशकों और घर खरीदारों को सबसे खराब स्थिति का डर सता रहा है.
क्या मिली जानकारी?
यूबीएस सिक्योरिटीज के चीन रणनीतिकार मेंग लेई ने कहा है कि हाल के आंकड़ों के बाद और संपत्ति संकट को रोकने के लिए सरकार के "संयमित" कदमों के बीच, विदेशी निवेशक विकास की उम्मीदें कम कर रहे हैं.
कारोबार और निवेश दोनों पर दिखेगा असर
आपको बता दें चीन दुनियाभर में बेचे जाने वाले इलेक्ट्रिक सामान का बड़ा हिस्सा पैदा करता है. अगर चीनी सामानों में कटौती होने से वैश्विक बाजारों के निर्माताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. यह व्यवसायों मे होने वाले निवेश पर भी असर डालेगा. इसके साथ ही बेरोजगारी दर में भी गिरावट देखने को मिल सकती है.