Red Sea Attack: लाल सागर संकट एक बड़ा रूप ले रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि लाल सागर संकट की वजह से माल ढुलाई की कीमतों में इजाफा हो रहा है. निर्यातक इस समय माल ढुलाई की लागत में बढ़ोतरी का सामना कर रहे है. इस वजह से वित्तीय सेवा विभाग (DFS) लोन इंफ्लो की निगरानी करने के लिए कहा गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. 


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वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल की अध्यक्षता में यहां आयोजित एक बैठक में निर्यातकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है. इस बैठक में डीएफएस के अलावा जहाजरानी, विदेश और रक्षा मंत्रालयों के अधिकारी मौजूद थे.


अरब सागर में हो रही निगरानी


अधिकारी ने कहा है कि हमने DFS को निर्यातकों के बैंक लोन की निगरानी करने और उसे सुगम बनाने के लिए कहा है. हमने उसे लोन प्रवाह बने रहने पर निगरानी रखने को कहा है. डीएफएस निर्यातकों की जरूरतों पर नजर रखेगा. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने अरब सागर में अपनी निगरानी व्यवस्था में सुधार किया है और इसके लिए अधिक तंत्र स्थापित किए गए हैं.


जहाजों को लंबे रास्ते से जाना पड़ रहा है


लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले प्रमुख समुद्री व्यापार मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास यमन स्थित हूती आतंकवादियों के हमलों के कारण स्थिति खराब हो गई है. इसकी वजह से मालवाहक जहाजों को रास्ता बदलकर कहीं लंबे मार्ग से होकर गुजरना पड़ रहा है.


समय के साथ बढ़ रही है लागत भी


लंबे रास्ते से जाने की वजह से न सिर्फ माल पहुंचने में अधिक समय लग रहा है बल्कि ढुलाई की लागत और बीमा खर्च भी बढ़ गया है. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि फिलहाल हम निगरानी कर रहे हैं कि माल ढुलाई प्रभावित न हो. अब तक प्रमुख बंदरगाहों से जाने वाली खेप स्थिर है. उन्होंने कहा कि जहाजरानी मंत्रालय को मात्रा पर नजर रखने के लिए कहा गया है. 


निर्यात पर ब्याज दरें ने बढ़ाई जाएं


अधिकारी ने कहा है कि हम सभी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. इस अंतर-मंत्रालयी समूह की आगे चलकर फिर से बैठक होगी. वाणिज्य मंत्रालय ने लाल सागर संकट से व्यापार के मोर्चे पर आगे की राह पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई थी. वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात प्रोत्साहन निकाय ईसीजीसी से निर्यात लोन पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाने को भी कहा है. सरकारी स्वामित्व वाली ईसीजीसी भारतीय निर्यातों को क्रेडिट बीमा कवर देकर उनको प्रतिस्पर्धी बनाना चाहती है.


जरूरी है लाल सागर


लाल सागर आगे जाकर स्वेज नहर में मिलता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने का काम करता है. वैश्विक व्यापार के लिए यह मार्ग बेहद जरूरी है. अगर लाल सागर का मार्ग बंद होता है तो शिपिंग कंपनियों को यूरोप-एशिया के बीच कारोबार के लिए लंबा रास्ता लेना पड़ता है. जिसके चलते शिपिंग कंपनियों की लागत 30 से 40 फीसदी तक बढ़ेगी और शिपिंग में लगने वाला वक्त भी 10 से 15 दिन और बढ़ जाएगा. आयात-निर्यात में दिक्कत बढ़ने से वैश्विक स्तर पर मंहगाई बढ़ेगा.