Maldives China Relation:  लक्षद्वीप बनाम मालदीव का विवाद तो एक बहाना है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू के भारत विरोधी रवैये की पोल उस वक्त ही खुल गई थी जब उन्होंने अपना चुनाव  'इंडिया आउट' नारे के साथ लड़ा था. चीन से करीबी मोइज्जू भारत के खिलाफ आग उगल रहे हैं. महज 5.21 लाख जनसंख्या वाला देश भारत को आंख दिखा रहा है. ये ताकत उसे यूं ही नहीं मिली, बल्कि उसके पीछे चीन का हाथ है. भारत संग तनाव के बीच मोइज्जू चीन पहुंच थे. शी जिनपिंग के साथ उनकी नजदीकियां वहां साफ झलक रही थी. जो प्यार उन्हें चीन से मिला, वो यूं ही नहीं था. चीन बिना अपने फायदे के कुछ नहीं करता. मालदीव की पीठ थपथपाने के पीछे भी चीन का अपना स्वार्थ छिपा है. 


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चीन के डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी में फंस रहा मालदीव 


चीन हिंद महासागर पर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है और इसके लिए वो मालदीव को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है.  वो मालदीव को अपने डेब्ट ट्रैप में फंसा रहा है. मालदीव पर चीन का इतना कर्ज बढ़ चुका है कि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने उसे पेमेंट संकट की चेतावनी तक दे दी. हालांकि ये कुछ नया है. चीन अपने डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी के लिए जाना जाता है. पहले कर्ज देकर देशों को फंसाना और फिर कर्ज न चुका पाने पर उस देश में अपनी मनमानी चलाना चीन की पुरानी नीति है.


ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव ने कुल कर्ज का 60 फीसदी हिस्सा चीन का है. IMF के मुताबिक, मालदीव पर चीन का 1.37 बिलियन डॉलर का भारी भरकम कर्ज है. चीनी सरकार के अलावा मालदीव के चीनी कंपनियों का निवेश बढ़कर 1.37 बिलियन डॉलर हो चुका है. मालदीव में इंफ्रास्क्चर, मैन्युफैक्चरिंग में भी चीन का बड़ा निवेश है.  


ब्लू इकोनॉमी का जाल बिछा रहा चीन  


सिर्फ कर्ज ही नहीं चीन ब्लू इकोनॉमी के जाल में मालदीव को फंसा रहा है. चीन ने मालदीव को भारत से दूर करने और अपने करीब लाने के लिए ब्लू इकोनॉमी का सपना दिखाया है. चीन मालदीव को ब्लू इकोनॉमी का प्रलोभन दे रहा है. ब्लू इकोनॉमी मतलब समुद्र या फिर समंदर के आसपास होने वाली आर्थिक व्यापारिक गतिविधियां.  ब्लू इकोनॉमी के तहत मछली पालन, तेल, खनिज उत्पादन, शिपिंग और समुद्री व्यापार, पर्यटन उद्योग को बढावा देना शामिल है. विस्तारवादी नीति वाला चीन ब्लू इकोनॉमी के जाल में मालदीव को फंसाकर हिंद महासागर पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहता है.


हिंद महासागर, जो कि समुद्री विविधता और प्राकृतिक संसाधनों से भरा है, चीन उसपर अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है. मालदीव के जरिए वो मत्स्य पालन के लेकर समुद्री लहर ऊर्जा, समुद्री तेल खनन, खनिजों के उत्पादन और समुद्री पर्यटन पर नजरें जमाए हुए है. मालदीव चीन की इस चाल को समझ नहीं पा रहा है और खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है. जो हाल श्रीलंका का हुआ वो मालदीव का भी हो सकता है, 


चीन का चक्रव्यूह  


छोटा सा देश मालदीव चीन की साजिशों का शिकार बनता जा रहा है. चीन का उसकी अर्थव्यवस्था में दखल बढ़ रहा है. मालदीव और चीन के बीच साल 2022 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 451.29 मिलियन डॉलर का हुआ था, जिसमें से मालदीव से 60,000 डॉलर का निर्यात हुआ तो वहीं चीन का निर्यात 451.29 मिलियन  डॉलर का था.  मालदीव में चीन की मौजूदगी बढ़ती जा रही है. वैश्विक व्यापार और बुनियादी ढांचे के नेटवर्क के निर्माण के लिए बेल्ट एंड रोड पहल के तहत, चीन ने माले में वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट का विस्तार किया है. वहीं क्रॉस-सी चीन-मालदीव मैत्री पुल का निर्माण किया. चीन की नेशनल मशीनरी इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ने मालदीव के पर्यटन क्षेत्र में 140 मिलियन डॉलर का निवेश किया . ये निवेश मालदीव की कुल आय का एक चौथाई है. चीन हर तरफ से मालदीव को घेरकर उसे अपने जाल में फंसा रहा है. 


अपने लिए ही  'भस्मासुर' बन रहे मोइज्जू  


चीन के प्रेम में अंधे हो चुके मोइज्जू को चीन की साजिश नहीं नहीं आ रही है. चीन झूठे सपने दिखाकर मालदीव के बहाने हिंद महासागर और प्रशांत महासागर पर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है.  मालदीव हिंद महासागर के व्यस्ततम समुद्री मार्ग के किनारे पर स्थित है. इसी मार्ग से चीन अपने तेलों का 80 फीसदी आयात करता है. वो श्रीलंका, पाकिस्तान की तरह ही मालदीव को कर्ज के जाल में फंसाकर बर्बाद कर रहा है और मोइज्जू इसमें भागीदार बन रहे हैं.