नई दिल्ली: Corona Impact: कोविड-19 महामारी ने लोगों के अंदर कैश के इस्तेमाल को लेकर एक व्यवहारिक बदलाव ला दिया है. देश में आई कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों के अंदर दहशत पैदा कर दी, नतीज ये हुआ कि लोग ATM से ज्यादा कैश निकालकर रखने लगे, ताकि उन्हें बार बार चक्कर न लगाना पड़े. एक्सपर्ट्स ने पाया कि ये निकाला गया कैश सिर्फ इमरजेंसी के लिए रखा गया, जबकि पेमेंट्स UPI या दूसरे माध्यमों से किए गए. 


ATM से जमकर निकाला गया कैश, लेकिन खर्च नहीं किया


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कैश के इस्तेमाल को लेकर बर्ताव में आए इस बदलाव को लेकर Sarvatra Technologies के फाउंडर और MD मंदार अगाशे का कहना है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के प्रतिबंधों के चलते लोग बैंकों और ATM बार-बार नहीं जा रहे थे. किसी भी समय में निकासी का आकार 20 परसेंट से ज्यादा बढ़ गया, क्योंकि लोगों ने किसी मेडिकल इमरजेंसी या दूसरी तरह की किसी इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए बड़ी मात्रा में कैश निकालकर इकट्ठा करना शुरू कर दिया, अंत में वो पैसा खर्च भी नहीं हुआ.  


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लोगों के अंदर आए ये बदलाव


अगाशे के मुताबिक शहर हो या ग्रामीण इलाके, जहां पहले लोग 2000-3000 रुपये के बीच कैश निकालते थे, अब ये 20 परसेंट बढ़कर 3000-4000 रुपये के बीच हो गया है. UPI का इस्तेमाल सभी छोटे खर्चों का पेमेंट करने के लिए किया गया, जो औसतन 1000 रुपये है. बर्ताव में आए इस बदलाव की वजह से ही IMPS के जरिए रोजाना औसत ट्रांजैक्शन 9000 रुपये पहुंच गया है, जो कि पहले 6000-7000 रुपये के बीच हुआ करता था. अगाशे का कहना है कि- कोरोना की दूसरी लहर ने कैश के मैनेजमेंट पर काफी प्रभाव डाला है, लोगों के बर्ताव के पैटर्न में काफी बदलाव आया है, जिसका असर लंबे समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन पर देखने को मिलेगा. 


डर के माहौल में कैश निकासी बढ़ी


रिजर्व बैंक के एक डेटा के मुताबिक - 26 मार्च को सिस्टम में कैश का सर्कुलेशन 2,858,640 करोड़ रुपये था, जो कि 7 मई, 2021 तक बढ़कर 2,939,997 करोड़ रुपये पहुंच गया, मतलब लोगों ने कैश ज्यादा निकाला. Care Ratings के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है कि ऐसे अनिश्चितता भरे माहौल में लोग की प्राथमिकता कैश को इकट्ठा करने की रही है. सबनवीस का भी यही मानना है कि कैश को इकट्ठा करके रखना एहतियातन था, क्योंकि मेडिकल या दूसरे अचानक खर्चों में कैश की जरूरत पड़ सकती है. 


लॉकडाउन से आशंकित थे लोग


PayNearby के फाउंडर, आनंद कुमार बजाज का कहना है कि लोगों के अंदर घबराहट थी, जिसकी वजह से उन्होंने कैश निकालना शुरू कर दिया. उन्हें इस बात की आशंका थी कि महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन के कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. सरकार ने लाखों प्रवासी मजदूरों और गरीबों के जन-धन खातों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए बड़ी रकम ट्रांसफर की. बजाज के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में हमारी आाधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) निकासी 10,000 करोड़ रुपये की रही, जो कि पिछले साल इसी तिमाही में  7,650 करोड़ रुपये थी. इसलिए DBT से निकासी को भी कैश सर्कुलेशन में आई तेजी की वजह माना जा सकता है. 


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