नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर, उनके परिवार, दीवान हाउसिंग फाइनेंस (डीएचएफएल) के प्रमोटर्स और अन्य के खिलाफ 2,203 करोड़ रुपये की संपत्ति को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अटैच की है. ईडी ने 3,700 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में यह कार्रवाई की है. 


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ईडी ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति
एजेंसी ने इस बारे में एक कहा है कि “प्रवर्तन निदेशालय ने यस बैंक मामले में धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत 2203 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच किया है. इन परिसंपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 2800 करोड़ रुपये से अधिक है और इसमें भारत और विदेश में अचल संपत्तियां, बैंक खाते, निवेश, लक्जरी वाहन आदि शामिल हैं. ये संपत्ति राणा कपूर, कपिल वधावन और धीरज वधावन और उनके द्वारा नियंत्रित संस्थाओं की हैं.''


ये है अटैच की गई संपत्तियों की डिटेल्स
राणा कपूर और संबंधित संस्थाओं से जुड़ी कुल 792 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है, जिसका वर्तमान बाजार मूल्य 1400 करोड़ रुपये है. इस संपत्ति में कुंभा हिल में एक स्वतंत्र आवासीय भवन "खुर्शीदाबाद" शामिल है; नेपियन सी रोड, मुंबई में स्थित 3 डुप्लेक्स फ्लैट्स; NCPA, नरीमन पॉइंट में आवासीय फ्लैट; 08 फ्लैट्स इंडिया बुल्स ब्लू, वर्ली, मुंबई में हैं. इसके अलावा, नई दिल्ली के 40 अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित एक बंगला जिसका बाजार मूल्य 685 करोड़ रुपये है.


डीएचएफएल के मालिक कपिल वधावन, धीरज वधावन और संबंधित संस्थाओं से जुड़ी संपत्ति कुल 1411.9 करोड़ रुपये की है जिसमें खार (पश्चिम), मुंबई में स्थित 12 फ्लैट, न्यूयॉर्क में 01 फ्लैट और लंदन में 02 फ्लैट, पुणे और मुल्शी में 02 भूमि पार्सल; ऑस्ट्रेलिया में एक वाणिज्यिक संपत्ति; 5 लक्जरी वाहन और 344 बैंक खाते शामिल हैं.''


राणा कपूर, उनकी पत्नी और तीन बेटियों को कथित तौर पर कुछ कॉरपोरेट संस्थाओं को बड़े लोन को मंजूरी देने के लिए उनकी कंपनियों के माध्यम से बड़े किकबैक मिले, जो बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में बदल गईं थीं. डीएचएफएल के संस्थापक कपिल वधावन और धीरज वधावन को अप्रैल में इसी मामले में सीबीआई ने एक हिल स्टेशन महाबलेश्वर से गिरफ्तार किया था. जांच शुरू होने के बाद से वे फरार थे.


सीबीआई ने आरोप लगाया है कि यस बैंक ने डीएचएफएल में अल्पकालिक डिबेंचर में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसके लिए वधावन ने अपनी बेटियों के स्वामित्व वाले DoIT अर्बन वेंचर्स को ऋण के रूप में कपूर को 600 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.


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