ECLGS: कोविड महामारी के दौरान छोटे कारोबारियों की मदद के लिए शुरू की गई इमरजेंसी क्रेड‍िट लाइन गारंटी स्‍कीम (Emergency Credit Line Guarantee Scheme, ECLGS) से 14.6 लाख एमएसएमई (MSME) इकाइयों को बचाने में मदद मिली. इन छोटे उद्यमों को 2.2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज का लाभ मिला. एसबीआई रिसर्च के एक विश्लेषण के अनुसार इस अतिरिक्त क्रेड‍िट फ्लो से एमएसएमई इकाइयों के ऊपर करीब 12 प्रतिशत बकाया कर्ज एनपीए (NPA) बनने से बचा.


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एमएसएमई को 2.2 लाख करोड़ का कर्ज दिया
अगर लोगों के संदर्भ में बात करें तो इससे कम-से-कम 6.6 करोड़ लोगों की आजीविका बची. ईसीएलजीएस (ECLGS) से एमएसएमई (MSME) को कर्ज मिलने में मदद मिली और इससे कम से कम 14.6 लाख यून‍िट को अपना कारोबार बनाए रखने में मदद मिली. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि इस योजना के जरिये एमएसएमई (MSME) को 2.2 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए गए.


6.6 करोड़ लोगों की अजीविका बची
इससे तात्‍पर्य यह है क‍ि इस योजना से एमएसएमई (MSME) पर बकाया करीब 12 प्रतिशत का फंसा कर्ज बनने से रोकने में मदद मिली. साथ ही 6.6 करोड़ लोगों की अजीविका बची. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एमएसएमई इकाइयां का आकार भी बड़ा हुआ और कई इकाइयों का कारोबार 250 करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया और वे नई परिभाषा के तहत मझोले उद्यम की श्रेणी में आ गये.


एमएसएमई की परिभाषा में वर्ष 2020 में बदलाव किया गया था. इस बदलाव के साथ सभी एमएसएमई को उद्यम पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया. रिपोर्ट के अनुसार इससे कुल 1.33 करोड़ एमएसएमई के पास उद्यम प्रमाणपत्र हैं. जबकि दूसरी तरफ जीएसटी पंजीकरण केवल 1.40 करोड़ है. रिपोर्ट के अनुसार उद्यम पोर्टल एमएसएमई क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने और उन्हें संगठित कर्ज व्यवस्था के दायरे में लाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. देश में करीब 6.4 करोड़ एमएसएमई हैं जबकि चीन में यह संख्या 14 करोड़ है. (Input : PTI)


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