नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) बोर्ड ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 8.65 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश की है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10 आधार अंक अधिक है. वित्त वर्ष 2017-18 में ब्याज दर 8.55 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2015-16 के बाद पहली बार ब्याज दरों में वृद्धि की गई है.  इस तरह EPFO ने वित्त वर्ष 2016 के बाद पहली बार ब्याज दर बढ़ाई है. इस फैसले से सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को फायदा होगा.


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सहयोगी वेबसाइट ज़ीबिज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के करीब छह करोड़ से अधिक अंशधारक हैं. इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि ईपीएफओ के न्यासियों की 21 फरवरी 2019 को होने वाली बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर का प्रस्ताव एजेंडे में शामिल है और आम चुनाव को देखते हुए संभावना है कि इस पर सकारात्मक नजरिए से विचार किया जाएगा. श्रम मंत्री की अध्यक्षता वाला न्यासी बोर्ड ईपीएफओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है जो वित्त वर्ष के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर पर निर्णय लेता है.


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बोर्ड की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय से सहमति की जरूरत होगी. वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही ब्याज दर को अंशधारक के खाते में डाला जाएगा. ईपीएफओ ने 2017-18 में अपने अंशधारकों को 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया. निकाय ने 2016-17 में 8.65 प्रतिशत तथा 2015-16 में 8.8 प्रतिशत ब्याज दिया था. वहीं 2013-14 और 2014-15 में ब्याज दर 8.75 प्रतिशत थी.