काठमांडू: पर्यावरण से खिलवाड़ करना हमारी आदत हो गई है. ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दे हमारे लिए किसी महत्व के नहीं है. शायदी यही वजह है कि जब कभी प्रकृति से खिलवाड़ करते हैं तो हमें इसका अहसास तक नहीं होता है. माउंट एवरेस्ट जो विश्व का सबसे ऊंचा पहाड़ है, वहां भी कचरे का अंबार लगा हुआ है. पूरी दुनिया के लोग एडवेंचर और कीर्तिमान स्थापित करने के लिए इस पहाड़ की चढ़ाई करते हैं, और जाते-जाते यहां अपने साथ लाए कचरे (सॉलिड वेस्ट) को छोड़ कर चले जाते हैं.


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माउंट एवरेस्ट को कचरा मुक्त करने के लिए नेपाल ने 14 अप्रैल को "एवरेस्ट क्लीनिंग कैम्पेन" की शुरुआत की. यह कैम्पेन 45 दिनों तक चलेगा. अब तक  करीब 3000 किलोग्राम सॉलिड वेस्ट इकट्ठा किया जा चुका है. इस कैम्पेन के तहत 10 हजार किलो कचरा इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस कैम्पेन की शुरुआत Khumbu Pasanglhamu Rural Municipality की तरफ से की गई है. इसमें नेपाल सरकार का टूरिज्म मंत्रालय और नेपाली सेना भी मदद कर रही है. नेपाली सेना के हेलीकॉप्टर की मदद से कचरे को नीचे लाया जा रहा है.


कचरे के ढेर में तब्दील हो रहा है माउंट एवरेस्ट


 


इस टीम में जितने लोग शामिल हैं वे बेस कैम्प तक पहुंच चुके हैं. उनके लिए खाना, पानी और जिस किसी चीज की जरूरत है, उसे कैम्प तक पहुंचाया जा चुका है. इनका मकसद कई चरणों में अलग-अलग जगहों से कचरे को इकट्ठा करना है. आधिकारिक बयान में कहा गया कि पूर्व में कई लोगों की माउंट एवरेस्ट पर मौत भी हो चुकी है. ऐसे में अगर सफाई अभियान के दौरान किसी की बॉडी मिलती है तो वे उसे भी नीचे लेकर आएंगे.


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इस कैम्पेन पर 23 मिलियन नेपाली रुपये खर्च होंगे. बयान में कहा गया कि इस साल करीब 500 विदेशी पर्वतारोही और 1000 सहयोगी माउंट एवरेस्ट आएंगे. इस कैम्पेन के लोगों की अपील है कि जो कोई माउंट एवरेस्ट आता है वे अगर अपने साथ लाए कचरे को भी वापस ले जाएंगे तो प्रदूषण नहीं फैलेगा. इस कैम्पेन का मकसद साफ है कि हम लोगों तक यह संदेश देना चाहते हैं कि वे एवरेस्ट को प्रदूषण मुक्त बनाने में हमारी मदद करें. इसलिए वहां से लाये गए कचरे की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.