नई दिल्ली: देश में करोड़ों महिलाओं को गोरा और खूबसूरत बनाने का दावा करने वाली क्रीम फेयर एंड लवली (Fair & Lovely ) अपना नाम बदलेगी. कंपनी ने इस क्रीम के नाम से 'फेयर' शब्द हटाने का फैसला कर लिया है. पिछले कई सालों में इस क्रीम पर रंगभेदी होने के आरोप लगते रहे हैं. आखिरकार तमाम दबावों के बाद इस क्रीम को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलिवर (Hindustan Unilever) ने नाम बदलने का फैसला कर लिया है.


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कंपनी ने अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हम त्वचा को सुंदर बनाने के लिए उत्पाद बनाते रहे हैं. कंपनी ने फैसला किया है कि अपने इस क्रीम के ब्रैंडिंग में गोरापन शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी. साथ ही कंपनी ने अपने किसी भी प्रचार में Fairness, Whitening और Lightening जैसे शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है.



जानकारों का कहना है पिछले की सालों से खूबसूरती और गोरापन मामले में कंपनी के इस प्रोडक्ट का विरोध होता रहा है. कई महिला संगठनों ने विरोध में कहा था कि किसी महिला की खूबसूरती का आकलन उसके रंग से नहीं होना चाहिए. संगठनों का आरोप रहा है कि क्रीम में गोरापन शब्द को जिस तरह से इस्तेमाल किया जाता है उससे ये प्रतीत होता है कि सिर्फ गोरी महिलाएं ही खूबसूरत होती हैं. 


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लगभग 45 साल पुराना ब्रैंड  है फेयर एंड लवली
बताते चलें कि फेयर एंड लवली ब्रैंड 1975 में लॉन्च किया गया था. तब से कंपनी अपने प्रचार में कई मशहूर मॉडल्स को विज्ञापन में सांवले रंग से गोरा होते दिखाती रही है. विज्ञापन में हमेशा यही कहा जाता है कि गोरापन चाहिए तो इस क्रीम का इस्तेमाल करें. देश में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70 फीसदी हिस्सा "फेयर एंड लवली" के पास ही है. 


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