Property Tax: खुद का घर होना काफी बड़ी बात होती है. वहीं खुद का घर या फ्लैट खरीदने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. शहरों में लोग लगातार फ्लैट खरीद रहे हैं. फ्लैट खरीदने वाले लोगों की संख्या में पिछले दिनों गिरावट देखी गई थी लेकिन अब ये आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है. हालांकि कोई भी फ्लैट खरीदते वक्त एक बड़ी अमाउंट चुकाई जाती है. इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि आप कौन-कौनसी अमाउंट का भुगतान कर रहे हैं. बढ़ती घर-खरीद की प्रवृत्ति के कारण Property Tax और इसका भुगतान न करने के प्रभावों के बारे में भी जानना काफी जरूरी है.


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उठा सकते हैं सख्त कदम


दरअसल, नगर निगम के अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मकान/फ्लैट मालिकों से संपत्ति कर (Property Tax) वसूलते हैं. संपत्ति कर का भुगतान नहीं करने पर कुछ परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. समय सीमा के भीतर संपत्ति कर का भुगतान करने में विफल रहने वाले डिफॉल्टरों के खिलाफ नगर निगम अक्सर सख्त कदम उठाते हैं.


लगता है जुर्माना


कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संपत्ति कर न भरने पर जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं जुर्माना क्या होगा, यह नगरपालिका प्राधिकरण के तहत तय किया जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) प्रति माह देय राशि पर 1% का जुर्माना लगाता है. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक 2% प्रति माह का जुर्माना लेता है.


कारण बताओ नोटिस


समय पर संपत्ति कर का भुगतान करने में विफलता के मामले में संबंधित नगरपालिका प्राधिकरण बकाया राशि की वसूली के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी कर सकता है. हालांकि, कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद भी अगर संपत्ति का मालिक विफल रहता है या उक्त करों का भुगतान करने से बचता है, तो उस स्थिति में संबंधित नगरपालिका प्राधिकरण कानूनी रूप से आगे बढ़ सकता है


संपत्तियां कुर्क


उदाहरण के तौर पर बताएं तो डीएमसी अधिनियम 1957 के तहत नगरपालिका प्राधिकरण संपत्ति, बैंक खाते, किराए और सभी चल संपत्तियों को कुर्क करते उक्त अधिनियम की धारा 155 और 156 के तहत देय राशि की वसूली कर सकता है.  वहीं दिल्ली में डिफॉल्टरों को अक्सर संपत्ति कर का भुगतान करने में चूक पर कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है. 


जेल की सजा


अगर डिफॉल्टर के जरिए कारण बताओ नोटिस को नजरअंदाज कर दिया जाता है तो नगर निगम टैक्स की राशि का डिफॉल्टर से 20% जुर्माना वसूल सकता है, जिससे लाखों की चपत लग सकती है. जुर्माना लगाए जाने के बाद भी भुगतान न करने की स्थिति में नगर निगम चल संपत्ति की कुर्की के माध्यम से कानून के प्रावधानों के अनुसार बकाया की वसूली के लिए आगे बढ़ सकता है. इसके अलावा डिफॉल्टर्स को जेल की सजा भी दी जा सकती है.


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