Adani Group: देश के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) ने सोमवार को 32वीं एजीएम (AGM) को संबोध‍ित क‍िया. इस दौरान वह ग्रुप के प‍िछले करीब डेढ़ साल के सफर पर खुलकर बोले. एजीएम को संबोध‍ित करते हुए गौतम अडानी ने कहा क‍ि हिंडनबर्ग र‍िपोर्ट को अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को बदनाम करने के लिए तैयार किया गया था. उन्होंने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म के बारे में बोलते हुए कहा क‍ि इसे हमें बदनाम करने के लिए बनाया गया था. हमारे ग्रुप की व‍ित्‍तीय स्‍थ‍िति को लेकर आलोचना करना, उस समय यह हमारे ऊपर दोतरफा हमला था.


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हम पहले से और मजबूत होकर न‍िकले


उन्होंने इस दौरान बोलते हुए कहा क‍ि अडानी ग्रुप अब हिंडनबर्ग मामले से उबर आया है और हम पहले से मजबूत होकर न‍िकले हैं. इससे यह साफ है क‍ि कोई भी रुकावट अडानी ग्रुप को कमजोर नहीं कर सकती. अडानी ने कहा, 'पिछले साल हमने जो दृढ़ता दिखाई, उससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता. अडानी ग्रुप ने विदेशी शॉर्ट-सेलर्स की तरफ से ग्रुप की ईमानदारी और प्रतिष्ठा पर किए गए हमलों का मुकाबला किया. इससे यह साफ हुआ क‍ि कोई भी चुनौती अडानी ग्रुप की नींव को कमजोर नहीं कर सकती.'


अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई थी
अडानी ग्रुप के चेयरमैन ने हिंडनबर्ग पर खुलकर बोलते हुए कहा क‍ि एक संस्था ने पिछले साल रिपोर्ट जारी करके आरोप लगाया था कि हमारा ग्रुप शेयरों की कीमत में हेराफेरी कर रहा है. र‍िपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया था क‍ि ग्रुप गलत तरीके से टैक्स बचाने के लिए विदेशी कंपनियों का इस्तेमाल कर रहा है. इस रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. उन्‍होंने कहा कि पिछले एक साल में अडानी ग्रुप को गलत सूचनाओं और राजनीतिक आरोपों का भी सामना करना पड़ा.


निवेशकों के भरोसे और उनके हितों को प्राथमिकता दी
अडानी ने इस बात पर भी जोर द‍िया क‍ि ग्रुप ने हमेशा अपने निवेशकों के भरोसे और उनके हितों को प्राथमिकता दी है. आरोपों की जांच के दौरान, ग्रुप ने FPO के जर‍िये जुटाए गए 20,000 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस कर द‍िया. इसी साल सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दी गई और सेबी में भरोसा जताते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला सुनाया गया क‍ि अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच किसी स्पेशल टीम को सौंपने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके. कोर्ट ने याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया क‍ि जांच को किसी और को सौंपने का आधार नहीं पाया गया.