Gold Import Rise: गोल्ड की कीमतों में तेजी जारी है. आज सोना और चांदी दोनों ही महंगे हो गए हैं. ग्लोबल मार्केट में सोने का भाव बढ़ने से घरेलू बाजार में भी ये धातु महंगी हो रही है. आज दिल्ली सर्राफा बाजार के साथ ही मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर भी कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. HDFC Securities ने यह जानकारी दी है. 


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सोने की बढ़ती कीमतों के बीच में गोल्ड का आयात भी बढ़ गया है. चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीने में गोल्ड का इंपोर्ट 26.7 प्रतिशत बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हो गया है. 


कितनी रही गोल्ड की कीमत?


बता दें दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने का भाव 200 रुपये की बढ़त के साथ 63,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहा है. वहीं, पिछले कारोबारी सत्र में सोना 62,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. इसके अलावा चांदी की कीमत भी 200 रुपये की मजबूती के साथ 76,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर रही. 


गोल्ड को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है?


एचडीएफसी सिक्योरिटीज में जिंस मामलों के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा है कि विदेश में सोने की कीमतों में मजबूती के बाद दिल्ली के बाजारों में 24 कैरेट महंगा हुआ है. ग्लोबल मार्केट में सोना पिछले बंद भाव के मुकाबले 13 डॉलर की बढ़त के साथ 2,031 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था. परमार ने कहा कि मिले-जुले अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के बाद सोने की कीमतें बढ़ीं, जिससे डॉलर थोड़ा नीचे चला गया. 


गोल्ड इंपोर्ट में क्यों आई तेजी?


अगर गोल्ड के इंपोर्ट की बात की जाए तो अप्रैल से दिसंबर के बीच में सोना 26.7 प्रतिशत बढ़कर 35.95 अरब डॉलर रहा है. बता दें गोल्ड के इंपोर्ट का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इंपोर्ट में इजाफे का कारण डिमांड का अच्छा होना था. एक साल पहले इसी अवधि में सोने का आयात 28.4 अरब डॉलर रहा था. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर-2023 में इस बहुमूल्य धातु का आयात 156.5 प्रतिशत बढ़कर तीन अरब डॉलर का हो गया.


इंडिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर


सोने के आयात में वृद्धि के बावजूद, देश का व्यापार घाटा इस वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अप्रैल-दिसंबर-2022 के 212.34 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 188.02 अरब डॉलर रह गया. चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर देश है. सोने का आयात मुख्य रूप से ज्वैलरी इंडस्ट्री की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है. इस अवधि के दौरान रत्न और आभूषण का निर्यात 16.16 प्रतिशत घटकर 24.3 अरब डॉलर रह गया.