चुनाव के बीच अमेरिका से आई गुड न्यूज, भारत की इकॉनमी पर कही खुश करने वाली बात
लोकसभा चुनाव के बीच इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है. एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की इकॉनमी को लेकर पॉजिटिव नजरिया रखा है. एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की रेटिंग को ‘स्टैबल’ से बढ़ाकर ‘पॉजिटिव’ कर दिया है.
India Economy: लोकसभा चुनाव के बीच इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है. एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की इकॉनमी को लेकर पॉजिटिव नजरिया रखा है. एस एंड पी ग्लोबल ने भारत की रेटिंग को ‘स्टैबल’ से बढ़ाकर ‘पॉजिटिव’ कर दिया है. एजेंसी ने भारत के मजबूत ग्रोथ और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर इसकी रेटिंग को ‘BBB-’ पर कायम रखा है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि मजबूत वृद्धि, पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता तथा सुधारों और राजकोषीय नीतियों में व्यापक निरंतरता की उम्मीद के बीच 10 साल के अंतराल के बाद भारत के रेटिंग परिदृश्य में यह बदलाव संभव हुआ है. एसएंडपी ने हालांकि, भारत की सॉवरेन रेटिंग को निम्नतम निवेश ग्रेड ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा है. ‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है. एजेंसी ने पिछली बार 2014 में रेटिंग परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ किया था.
अमेरिका की एजेंसी ने बुधवार को बयान में कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक मोर्चे पर जुझारूपन बढ़ता है तो वह अगले 24 महीने में भारत की साख को बढ़ा सकती है. एसएंडपी की रेटिंग भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरित करने के एक सप्ताह के भीतर आई है. इस राशि का इस्तेमाल केंद्र के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है.
एसएंडपी ने कहा,भारत के प्रति हमारा सकारात्मक परिदृश्य इसकी मजबूत आर्थिक वृद्धि, सरकारी व्यय की गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार और राजकोषीय समावेशन के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता पर आधारित है। हमारा मानना है कि ये कारक मिलकर ऋण परिदृश्य को लाभ पहुंचा रहे हैं. एजेंसी का अनुमान है कि पिछले तीन वर्षों में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर औसतन 8.1 प्रतिशत सालाना रही है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है। एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी ऋण संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद के सात प्रतिशत से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है.