Minerals In The Sea: जम्मू कश्मीर में हाल ही में ऐसा खजाना मिला है, जो देश की काफी जरूरतों को पूरा कर सकता है. यह खजाना लिथियम है और जम्मू कश्मीर में लिथियम का भंडार मिला है. वहीं अब सरकार की ओर से समुद्र में भी ऐसी खजाने की तलाश की जा रही है. दरअसल, सरकार की ओर से समुद्र में खनिजों की तलाश की जा रही है. खान मंत्रालय में सचिव विवेक भारद्वाज ने ने कहा कि सरकार निकेल जैसे खनिजों के भंडार की समुद्री क्षेत्र में तलाश में जुटी हुई है और आगे चलकर इन भंडारों की बिक्री भी की जाएगी. खान मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्र खनिज विकास एवं नियमन अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए हितधारकों से इस पर राय मांगी है.


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खनिज
भारद्वाज ने उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "महत्वपूर्ण खनिजों के अधिक महत्वपूर्ण होते जाने से ऐसी सोच ने जन्म लिया है कि हम समुद्री क्षेत्र में इनका खनन क्यों नहीं कर रहे. दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम समुद्री खनिज का खनन नहीं कर पा रहे हैं. अब हम इस कानून को संशोधित कर रहे हैं और इस बारे में सभी हितधारक अपनी राय दे सकते हैं."


समुद्री इलाका
उन्होंने कहा कि खान मंत्रालय समुद्री इलाके में महत्वपूर्ण खनिजों को चिह्नित करने की प्रक्रिया में लगा हुआ है. इस प्रक्रिया में किसी अन्य पक्ष के हितधारक नहीं होने से भारत सरकार इस खनिज भंडार की नीलामी करेगी. खान सचिव ने इसे उद्योग जगत के लिए एक बड़ा मौका बताते हुए कहा, "यह एकदम अलग तरह का कारोबारी परिचालन होगा."


स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी
तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट एवं दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे महत्वपूर्ण खनिज आज की स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी वाले दौर में बेहद जरूरी घटक हैं. इनका इस्तेमाल पवन चक्कियों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक में होता है. भारद्वाज ने कहा कि एल्युमिनियम एवं अन्य धातुओं की रिसाइक्लिंग (दोबारा इस्तेमाल) भारत को आत्म-निर्भर बनने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. उन्होंने उद्योग जगत से ‘रिसाइक्लिंग’ गतिविधियों में भी शामिल होने का अनुरोध किया. (इनपुट: भाषा)


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