Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: केंद्र सरकार की तरफ से क‍िसानों को आर्थ‍िक रूप से मजबूत करने के ल‍िए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं में पीएम क‍िसान सम्‍मान न‍िध‍ि (PM Kisan Samman Nidhi) के साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) काफी अहम हैं. पीएम क‍िसान न‍िध‍ि में क‍िसानों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थ‍िक सहायता दी जाती है. वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत तय कारणों से फसल का नुकसान होने पर क‍िसान को लागत दी जाती है. इस योजना को साल 2016 में शुरू क‍िया गया था.


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25,186 करोड़ के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान
साल 2016 में शुरू होने के बाद पीएम फसल योजना के तहत क‍िसानों को अब तक 1,25,662 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है. सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार किसानों ने 31 अक्टूबर, 2022 तक कुल 25,186 करोड़ रुपये के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है. कृषि मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत सरकार, प्राकृतिक जोखिमों के कारण फसल नुकसान के एवज में व्यापक बीमा कवच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.


केंद्र और राज्य ने प्रीमियम का बोझ उठाया!
महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावों की मामूली राशि का भुगतान करने की खबरों पर सरकार की तरफ से कहा गया क‍ि ‘इस योजना के तहत, पिछले छह साल में किसानों ने प्रीमियम के रूप में 25,186 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. वहीं 31 अक्टूबर, 2022 तक किसानों को उनके दावों के बदले में 1,25,662 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारों ने प्रीमियम के ज्यादातर हिस्से का बोझ उठाया है.'


दुनिया की तीसरी बड़ी फसल बीमा योजना
सरकार की तरफ से दी गई जानकारी में कहा गया क‍ि पीएमएफबीवाई (PMFBY) दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. आने वाले सालों में इसके पहले पायदान पर आने की उम्मीद है. क्योंकि हर साल लगभग पांच करोड़ किसानों के आवेदन इस योजना के तहत प्राप्त हो रहे हैं. मंत्रालय ने कहा, 'पिछले छह साल में किसानों के बीच योजना का चलन बढ़ा है, साल 2016 में योजना शुरू होने के बाद से गैर-कर्जदार किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की हिस्सेदारी में 282 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.'


आपको बता दें यह योजना बीमा जोखिम आकलन / बोली प्रीमियम दरों पर लागू की जा रही है. हालांकि, छोटे किसानों सहित बाकी किसानों को खरीफ के लिए अधिकतम दो प्रतिशत, रबी खाद्य और तिलहनी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और वाणिज्यिक / बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है. इन सीमाओं से अधिक प्रीमियम की राशि का बोझ पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच यह यह साझेदारी खरीफ 2020 से 90:10 है. (इनपुट PTI)


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