नई दिल्ली: (प्रकाश प्रियदर्शी) 21 जुलाई को होने वाली जीएसटी कॉउंसिल की बैठक से कंज्यूमर के लिए राहत की खबर मिल सकती है. GST काउंसिल की करीब 24 से 32 उत्पादों की दर कम करने पर फैसला हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, कंज्यूमर के इस्तेमाल की चीजों पर दरों में कटौती की जा सकती है. इनमें जॉब वर्क, देवी देवताओं की मूर्तियां, साल लीव्स पर जीएसटी दर कम करने पर फैसला हो सकता है. काउंसिल की बैठक में एविएशन सेक्टर को महंगे फ्यूल से राहत मिलने की उम्मीदें कम हैं. क्योंकि, एटीएफ की दरों में कटौती को इस बार एजेंडे में शामिल नहीं किया गया है.


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किस पर कितना घटेगा GST
हैंडिक्राफ्ट, हैंडलूम आइटम को 12 फीसदी से कम करके 5 फीसदी स्लैब में लाया जा सकता है. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक बुक पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से कम करके 5 फीसदी की जा सकती है. इसके अलावा कई अन्य जरूरी आइट्म्स को 12 फीसदी के स्लैब से निकालकर 5 फीसदी के स्लैब में शामिल किया जा सकता है. 


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होटल में ठहरना होगा सस्ता
टूरिस्ट प्लेस पर घूमना और ठहरना सस्ता हो सकता है, क्योंकि होटल रूम के रेंट पर वास्तविक और घोषित रेंट के बीच स्थिति स्पष्ट की जा सकती है. होटल रुम पर घोषित के बजाए वास्तविक रेंट पर जीएसटी लगाया जा सकता है. इससे महंगे होटल 18 फीसदी स्लैब में आ जाएंगे.


28 फीसदी स्लैब में नहीं होगा बदलाव
हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 28 फीसदी स्लैब वाले ज्यादा उत्पादों पर फिलहाल जीएसटी कटौती की संभावना कम है क्योंकि इससे राजस्व का बड़ा नुकसान होगा. इस स्लैब में 43 प्रोडक्ट ही रह गए हैं. सूत्रों के मुताबिक बैठक में नैचुरल गैस को जीएसटी में लाने पर चर्चा हो सकती है. हालांकि, ATF को तुरंत जीएसटी में लाने की संभावना कम है.


सीमेंट और पेंट पर घट सकता है GST
GST काउंसिल की बैठक में सीमेंट और पेंट पर GST घटाकर 18 फीसदी किए जाने पर चर्चा हो सकती है. अभी यह 28 फीसदी है. न्यूज एजेंसी कोजेन्सिस को एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है. गौरतलब है कि सीमेंट कंपनियां इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए सीमेंट के एक अहम रॉ मैटेरियल होने की दलील देते हुए जीएसटी में कमी किए जाने की मांग कर रही हैं.


एक होगा जीएसटी रिटर्न फॉर्म 
जीएसटी काउंसिल की बैठक में सबसे अहम विषय है जीएसटी रिटर्न. इसके लिए एक ही फॉर्म रखने पर चर्चा हो सकती है. क्योंकि, GSTN ने इसे अंतिम रूप दे दिया है. उम्मीद है कि इसे पर आम सहमति बन जाएगी. इसके बाद कारोबारियों को दिक्कतें नहीं होंगी.