FASTag यूज करने वाले कार मालिकों को होगा फायदा! हाई कोर्ट ने NHAI से मांगा जवाब
NHAI: याचिका में कहा गया है कि फास्टैग में जमा राशि पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एनएचएआई (NHAI) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है.
Fixed Deposit Rate: आपकी कार पर फास्टैग (FASTag) लगा तो आपको पता ही है कि इसमें रिचार्ज के बाद जब तक आप पैसा यूज नहीं करते पैसा इसी में रहता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने फास्टैग (FASTag) और कार्ड में जरूरी न्यूनतम राशि पर ब्याज भुगतान की अपील करने वाली याचिका पर एनएचएआई (NHAI) और केंद्र से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि फास्टैग में जमा राशि पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एनएचएआई (NHAI) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है.
अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त का दिन तय
अदालत में दायर याचिका में कहा गया कि फास्टैग (FASTag) जारी करने के साथ हजारों करोड़ यात्रियों, एनएचएआई (NHAI) या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को लाभ दिए बिना बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं. अदालत की तरफ से इस बारे में जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है. अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त का दिन तय किया है. आवेदन में बिना फास्टैग वाले वाहनों को टोल टैक्स का दोगुना भुगतान करने के लिए मजबूर करने वाले नियम को भी चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि यह नियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और जनहित के खिलाफ है क्योंकि यह एनएचएआई (NHAI) को नकद भुगतान करने पर दोगुनी दर से टोल वसूलने का अधिकार देता है.
30000 करोड़ से ज्यादा बैंकिंग सिस्टम में शामिल हुए
याचिकाकर्ता रविंद्र त्यागी की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रवीन अग्रवाल ने आवेदन में कहा कि फास्टैग सर्विस शुरू होने के बाद 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बैंकिंग प्रणाली में शामिल हो गई है. याचिका में कहा गया कि यदि इस आंकड़े पर 8.25 प्रतिशत सालाना की सावधि जमा (FD) दर लागू की जाती है, तो एनएचएआई (NHAI) या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को हर साल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होगा.
याचिका में कहा गया, 'वर्तमान में इस धन का उपयोग बैंकों / वित्तीय संस्थानों द्वारा नि:शुल्क किया जा रहा है. इस राशि पर ब्याज या तो एनएचएआई / सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय या यात्रियों का है और इसका उपयोग सड़क / राजमार्ग / यात्रियों के भले के लिए होना चाहिए.' याचिका में फास्टैग के ब्याज से मिली राशि के लिए प्रशासन को ‘यात्री कल्याण कोष’ के नाम से एक अलग कोष तैयार करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है. (भाषा)