Red Sea Crisis: हूती विद्रोहियों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. लाल सागर के संकट से अब डर पैदा हो रहा है. यमन के हूती विद्रोहियों ने बुधवार को अदन की खाड़ी में एक व्यापारिक जहाज पर मिसाइल से हमला किया है, जिसके बाद में 3 लोगों की मौत हो गई है. इस हमले का असर ग्लोबल इकोनॉमी के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा. 


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लाल सागर में हूतियों के हमले से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. कल हुई घटना के बाद में शिपिंग कंपनियों को अपना रास्ता बदलना पड़ सकता है. इस स्थिति में उनको दूसरे रूट से अपना माल भेजना पड़ रहा है, जिस वजह से शिपिंग कॉस्ट में भी इजाफा हो रहा है. इसके साथ ही माल आने में ज्यादा दिन का समय भी लगेगा.


माल के लिए करना होगा लंबा इंतजार


भारत के निर्यातकों को एक्सपोर्ट पर ज्यादा पैसा खर्च करना होगा. इसके साथ ही समय भी ज्यादा बर्बाद होगा. लंबा रास्ता होने की वजह से माल के लिए ज्यादा दिन का इंतजार करना होगा. इस संकट की वजह से ढुलाई की दरों में करीब 700 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हो गया है. 


हर साल 21,000 से ज्यादा जलयान गुजरते हैं


अदन की खाड़ी हिंद महासागर में है. अफ्रीका में अरब प्रायद्वीप और सोमालिया के दक्षिणी तट पर यमन के बीच स्थित है. यह जलमार्ग उस स्वेज नहर जलयान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जो भूमध्य सागर को अरब सागर के द्वारा हिन्द महासागर से जोड़ता है. इस खाड़ी से हर साल करीब 21,000 से भी ज्यादा जलयान पार करते हैं. 


बर्बाद हो सकता है एक्सपोर्ट


लाल सागर में चल रहे इस संकट की वजह से एक्पोर्ट बर्बाद हो सकता है. इस संकट की वजह से निर्यात में कमी देखने को मिल रही है. हालांकि भारत के बड़े बाजारों जैसे खाड़ी देशों में निर्यात पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा है. बासमती चावल के निर्यात पर इसका ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. 


पहले 200 अरब डॉलर का होता था व्यापार


भारत के लिए यह रूट काफी जरूरी है. साल 2021 तक इस रास्ते के जरिए करीब 200 अरब डॉलर का कारोबार होता था. वहीं, कोरोना के बाद से इसमें कुछ गिरावट देखने को मिल रही है. इसके अलावा लाल सागर में शुरू हुए इस युद्ध के बाद में व्यापार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. इसके अलावा शिपिंग कंपनियों की कॉस्ट भी करीब 40 फीसदी तक बढ़ गई है. भारत खाने का सामान और इलेक्ट्रॉनिक सामान इसी रास्ते के जरिए एक्सपोर्ट करता है.