भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में ब्रिटेन से आयातित लगभग 100 टन सोना वापस लाया है. साल 1991 के बाद यह पहली बार इस तरह का बड़ा ट्रांसफर हुआ है. कई स्रोतों द्वारा छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की यह पहल भारत के स्वर्ण भंडार के मैनजमेंट में एक रणनीतिक बदलाव पर जोर देती है.


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रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद से भारत ने रूस और चीन दोनों को पीछे छोड़ते हुए किसी भी अन्य जी-20 देशों की तुलना में सबसे तेज गति से सोना खरीदा है. 


 


भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह सोना 


ऐतिहासिक सन्दर्भ में ब्रिटेन से सोना ट्रांसफर बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के अतीत में इसका बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि साल 1991 में जब देश देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था. उस वक्त धन जुटाने के लिए आरबीआई को सोना गिरवी रखना पड़ा था. उस समय भारत द्वारा ब्रिटेन को सोना गिरवी रखने को देश के कमजोर अर्थव्यवस्था के संकेत पर भी याद किया जाता है. ऐसे समय में अब भारत ने ब्रिटेन से सोना वापस लाया है जो कि देश की रणनीति में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है. 


इतनी बड़ी मात्रा में सोने को भारत में लाने में स्पेशल फ्लाइट का इस्तेमाल किया गया. सोने को वापस लाने में आरबीआई को सीमा शुल्क में छूट दी गई थी. हालांकि, केंद्रीय बैंक को जीएसटी का भुगतान करना पड़ा था. 


किस देश के पास सबसे ज्यादा सोना?


वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रैंकिंग (अगस्त 2024 तक) के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है. अमेरिका के पास 8,133 टन सोना है. वहीं, जर्मनी के पास 3,351 टन, इटली के पास 2,452 टन, फ्रांस के पास 2,437 टन, रूस के पास 2,335 टन, चीन के पास 2,264 टन, स्विट्जरलैंड के पास 1,040 टन और जापान के पास 846 टन सोना है. विश्व स्वर्ण भंडार के मामले में भारत नौवें नंबर पर है. भारत के पास कुल 840 टन सोना है.