नई दिल्ली: आपने कभी होम लोन लिया होगा तो ये जरूर महसूस किया होगा कि आपको जितना लोन चाहिए था, उतना मिला नहीं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा कि ऐसा क्यों हुआ. बैंक्स कैसे तय करते हैं कि किसी को कितना होम लोन मिलना चाहिए. दरअसल, आपको कितना लोन मिलेगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप हर महीने कितनी EMI चुकाने की क्षमता रखते हैं. चलिए इसको समझते हैं. 


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कितना लोन मिलेगा, ये ऐसे तय होता है 


1. कितनी कमाई 
सबसे पहले बैंक आपके इनकम स्टेटमेंट देखेगा, जिसमें सैलरी स्लिप, टैक्स रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट शामिल होंगे. वो आपकी सैलरी, ब्याज से कमाई, रेंटल इनकम और अन्य स्रोतों से आ रही सभी तरह की कमाई को जोड़कर कुल मासिक कमाई को कैलकुलेट करेगा. ये सभी जानकारियां आपके बैंक स्टेटमेंट में ही मौजूद रहती हैं. 


2. कितनी बचत 
इसके बाद बैंक ये देखेगा कि अपनी मासिक कमाई में से आप कितनी बचत करते हैं. हालांकि कौन कितनी बचत करता है ये बहुत से फैक्टर्स पर निर्भर करता है. लेकिन एक स्टैंडर्ड नियम ये है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मासिक कमाई का 30 परसेंट बचत करता है और बैंक यही रूल सभी पर लागू करते हैं. यानि मान लिया जाए कि आपकी मंथली इनकम 1 लाख रुपये है तो आप महीने का 30 हजार रुपये बचत करते होंगे, बैंक भी यही मानकर चलेगा.  


3. पहले से कोई लोन 
लोन देने से पहले बैंक ये भी देखता है कि कहीं आपका कोई लोन पहले से तो नहीं चल रहा. अगर आप पहले से ही कोई लोन लेकर चल रहे हैं और उसकी EMI चुका रहे हैं तो बैंक आपकी कुल मंथली सेविंग में से इसको घटा देगा. जैसे 30,000 रुपये की मासिक सेविंग है, और EMI आप 10,000 रुपये की चुका रहे हैं तो कुल सेविंग अब 20,000 रुपये मानी जाएगी. 


4. ऐसे होगा कैलकुलेशन
आप पहले से EMI चुका रहे हैं तब आपको कितना लोन मिलेगा और अगर आप कोई EMI नहीं चुका रहे हैं तब आपको कितना लोन मिलेगा, इसको ऐसे समझिए 


मान लीजिए आपका मंथली इनकम 1 लाख रुपये है, 20 साल के लिए लोन लेना चाहते हैं और 7% की ब्याज दर है तो आपको 64.49 लाख रुपये तक का होम लोन मिल जाएगा, और आपकी EMI बनेगी 50,000 रुपये. अब अगर आपकी कोई EMI चल रही है, मान लीजिए 10 हजार रुपये की तब आपको 51.59 लाख रुपये का ही होम लोन मिलेगा, और आपकी EMI बनेगी 40,000 रुपये


हालांकि ये एक मोटा मोटा सा आइडिया है, जिससे कम से कम आप ये जरूर समझ सकेंगे कि लोन अमाउंट किन फैक्टर्स पर निर्भर करता है. बाकी बैंक्स की अपनी अपनी कैलकुलेशन रहती है. कोई बैंक आपको ज्यादा लोन दे सकता है तो कोई कम. 


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