Fed Reserve: अमेरिका के केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत दरों को लेकर होने वाली दो दिवसीय बैठक मंगलवार से शुरू हो रही है. फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में नीतिगत दरें 23 साल के उच्चतम स्तर पर हैं. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) के फैसले का प्रभाव भारत सहित पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर पड़ेगा. इस समय फेड की दरें 5.25 से 5.5 प्रतिशत के बीच हैं, जो 23 साल में सबसे ज्‍यादा हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारतीय शेयर बाजार निवेशकों की पहली पसंद


एफओएमसी के अधिकारियों ने पिछले दिनों संकेत दिए हैं कि वे ब्याज दर में कटौती कर सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो पहले से नए रिकॉर्ड स्तर पर बंद हो रहे भारतीय शेयर मार्केट में और तेजी आ सकती है. दरअसल, फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती का मतलब है, अमेरिका में सरकारी बॉन्डों पर भी ब्याज दरों में कमी. इससे निवेशक अपना पैसा बॉन्ड में लगाने की बजाय शेयर बाजार में थोड़ा और र‍िस्‍क उठाना पसंद करेंगे. इस समय भारतीय शेयर बाजार निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं.


सेंसेक्‍स और न‍िफ्टी ऑल टाइम हाई पर
अभी यूरोपीय केंद्रीय बैंक के नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद भारतीय शेयर बाजार में वैसे ही तेजी देखी जा रही है. मंगलवार को बीएसई का सेंसेक्स 90.88 अंक की बढ़त में 83,079.66 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 83,184.34 अंक के सर्वकालिक उच्चतम स्तर तक भी पहुंचा था. इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी कारोबार के दौरान 25,441.65 अंक को छूने के बाद 34.80 अंक की बढ़त में 25,418.55 अंक पर बंद हुआ.


एफपीआई ने भारतीय बाजार में 2,22,533 करोड़ का निवेश क‍िया
फेड के ब्याज दरों में कटौती की स्थिति में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अपना निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे. सितंबर में अब तक एफपीआई भारतीय पूंजी बाजार में 2,22,533 करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं. फेडरल रिजर्व की दो दिन की बैठक बुधवार को समाप्त हो रही है. फेड के फैसले का असर भारतीय बाजार में गुरुवार को दिखेगा. देखने वाली बात यह है कि ब्याज दरों में कितनी कटौती होती है. यदि फेड ने वास्तव में दरें घटाई तो आरबीआई पर भी अक्टूबर में ब्याज दर में कटौती का दबाव होगा, जिसकी मांग बाजार लंबे समय से कर रहा है.