IIT दिल्ली के छात्रों का स्टार्टअप, महिलाओं को टॉयलेट में इस परेशानी से मिलेगी निजात
सार्वजनिक शौचालयों में भारी गंदगी के चलते महिलाओं को होने वाली दिक्कत को देखते हुए आईआईटी दिल्ली के दो छात्रों ने एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया है, जिसकी मदद से वे सुरक्षित रूप से पेशाब कर सकती हैं.
नई दिल्ली: सार्वजनिक शौचालयों में भारी गंदगी के चलते महिलाओं को होने वाली दिक्कत को देखते हुए आईआईटी दिल्ली के दो छात्रों ने एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया है, जिसकी मदद से वे सुरक्षित रूप से पेशाब कर सकती हैं. उन्होंने इस स्टार्टअप को सैनिटेशन फॉर फीमेल (SANFE) नाम दिया है. इसके तहत तैयार किया गया ये प्रोडक्ट सस्ता भी है और ये पर्यावरण के अनुकूल भी है. इसकी मदद से महिलाएं खड़े होकर पेशाब कर सकती हैं.
गंदे टायलेट की समस्या
आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के थर्ड इयर के छात्र हैरी सेहरावत और अर्चित अग्रवाल को पता चला कि महिलाओं को गंदे टायलेट के चलते परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार तो वो टायलेट का इस्तेमाल ही नहीं करती हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है. शेहरावत ने बताया, 'हम शहर के कई सार्वजनिक शौचालयों में गए और लगभग सभी को गंदा पाया. वो इस्तेमाल करने लायक नहीं थे. हमने ये पाया कि महिलाओं में पेशाब संबंधी इंफेक्शन की एक वजह सार्वजनिक शौचालय हैं.'
गर्भवती महिलाओं की दिक्कत
रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में 71 प्रतिशत शौचालय इस्तेमाल करने के लायक नहीं है. इस कारण सबसे अधिक दिक्कत गर्भवती महिलाओं को होती है. इस समस्या के समाधान के लिए शुरू किए गए स्टार्टअप सैनेफ को आईआईटी दिल्ली का सहयोग हासिल है.
अर्चित ने बताया, 'सर्वे के दौरान मुझे अनुभव हुआ कि महिलाएं, खासतौर से गर्भवती महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके बाद मैंने एक ऐसा प्रोडक्ट बनाने के बारे में सोचा जिसकी मदद से महिलाएं खड़े होकर पेशाब कर सकें. हमें एक ऐसा तरीका इजाद करना था, जिसकी मदद से सार्वजनिक शौचालयों में टायलेट सीट को छूना न पड़े. हमने एक सिंपल कीपनुमा डिजाइन से शुरुआत की और उसे कुछ महिलाओं को ट्रायल के लिए दिया.'
प्रोडक्ट की खासियत
आईआईटी दिल्ली के वेबसाइट के मुताबिक, 'अर्चित अग्रवाल को अपने फार्स्ट ईयर के प्रोजेक्ट के दौरान ये आइडिया आया... फीडबैक लेने के बाद प्रोटोटाइप में 23 सुधार किए गए. फाइनल प्रोडक्ट में कई स्पेशल फीचर थे, जिसमें वन हैंड ग्रिप शामिल है. ये फीचर खासतौर से साड़ी और सूट पहनने वालों के लिए था.' आईआईटी दिल्ली की वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग लाइन बनाई गई, जिसकी उत्पादन क्षमता दस लाख पीस प्रतिदिन है.
इस प्रोडक्ट की कीमत सिर्फ दस रुपये है और दिल्ली-एनसीआर के स्टोर में उपलब्ध है. हालांकि उन्हें दिल्ली-एनसीआर के अलावा बाकी कई शहरों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं. अर्चित के मुताबिक इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल काफी आसान है और इसे आसानी से डिस्पोज भी किया जा सकता है.