Air Fare: अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) के प्रमुख विली वॉल्श ने कहा कि भारत एक शानदार संभावनाओं वाला विमानन बाजार होने के बावजूद सस्ता नहीं है और वहां किसी अन्य स्थान की तुलना में ऊंचा कराधान है. आईएटीए प्रमुख ने भारत में हवाई अड्डों में होने वाले निवेश और अर्थव्यवस्था के स्तर का भी जिक्र किया. आईएटीए एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट सहित 300 से अधिक एयरलाइन कंपनियों का समूह है. भारतीय विमानन बाजार में दो एयरलाइंस के वर्चस्व की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल पर वॉल्श ने कहा, ‘‘बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए दूसरी एयरलाइंस के लिए भी काफी गुंजाइश है.’’


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एविएशन मार्केट
उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास एक शानदार संभावनाओं वाला बाजार है. आप अर्थव्यवस्था के पैमाने को देखते हैं, हवाई अड्डों में निवेश हो रहा है... लेकिन भारत सस्ता बाजार नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में कराधान दुनिया के अधिकांश देशों की तुलना में अधिक है. इसके साथ ही उन्होंने हवाई अड्डों की तरफ से वसूले जाने वाले उपयोगिता शुल्क में बढ़ोतरी पर नाखुशी जताते हुए कहा कि हवाई अड्डों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है और क्योंकि वे हर समय लाभ में होते हैं.


हवाई किराया
वॉल्श ने कहा कि भारत को यह समझने की जरूरत है कि अधिक से अधिक लोगों को हवाई यात्रा कराने के लिए किराया कम करना जरूरी है. आईएटीए प्रमुख ने एक दिन पहले कहा था कि लगभग सात अरब अंतरराष्ट्रीय उड़ान टिकटों के विश्लेषण से पता चला है कि एयरलाइंस ने करों और शुल्कों में 380 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया है.


ऊर्जा बदलाव
इस बीच, आईएटीए ने स्वच्छ विमान ईंधन (सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल) का उत्पादन लगातार बढ़ने की उम्मीद जताते हुए कहा है कि उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशिया-प्रशांत में यह व्यापक रूप से उपलब्ध होगा. आईएटीए का मानना है कि वर्ष 2028 तक कुल नवीकरणीय ईंधन उत्पादन क्षमता कम से कम 69 अरब लीटर (5.5 करोड़ टन) हो जाएगी. संगठन ने नागर विमानन उद्योग में ऊर्जा बदलाव को समर्थन के लिए उत्पादन प्रोत्साहन की भी वकालत की है. (इनपुट: भाषा)


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