जापानी तकनीक पर बने बॉयो टॉयलेट, रेल यात्रा को बनाएंगे बेहतर
रेलगाड़ियों व स्टेशनों पर लगे बॉयो टॉयलेट की बदबू को दूर करने और उसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए रेलवे इनमें जापानी तकनीक का प्रयोग करेगा.
नई दिल्ली : रेलगाड़ियों व स्टेशनों पर लगे बॉयो टॉयलेट की बदबू को दूर करने और उसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए रेलवे इनमें जापानी तकनीक का प्रयोग करेगा. अंग्रेजी के अखबार इकोनॉकिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे शुरुआत में कुछ रेलवे स्टेशनों पर इन बॉयो टॉयलेटों में जापानी तकनीक का प्रयोग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर करेगा . पायलट प्रोजेक्ट के लिए जापान भारतीय रेलवे को 150 बॉयो टायलेट देगा. इन बॉयो टॉयलेटों को विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर लगाया जाएगा.
जापानी तकनीक पर बने हैं नए बॉयो टॉयलेट
जापानी तकनीक पर बने इस तरह का बॉयो टॉयलेट का प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मड़गांव रेलवे स्टेशन पर किया जा रहा है. जल्द ही इस तरह के दो और बॉयो टॉयलेट नई दिल्ली व वाराणसी रेलवे स्टेशनों पर लगाए जाएंगे. जापान से 150 बॉयो टॉयलेट मिलने पर इन्हें देश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर लगाया जाएगा. जापान में बने इन बॉयो टॉयलेटों में अंदर गंदगी को मथ कर बुरादे में परिवर्तित कर उसे अपघटित कर दिया जाता है. वहीं भारत में वर्तमान समय में प्रयोग हो रहे बॉयो टॉयलेट बैक्टीरिया द्वारा अपघटन की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं.
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बॉयो टॉयलेट में बदबू है बड़ी समस्या
भारतीय रेलवे में वर्तमान समय में प्रयोग किए जाने वाले बॉयो टॉयलेट से आने वाली वाली बदबू के चलते रेलवे को यात्रियों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. कैग की ओर से 2017 में दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में रेलवे ने 223 बॉयो टॉयलेटों में बदबू की शिकायतें सामने आईं. ज्यादातर में कम पानी की सप्लाई या फ्लशिंग सिस्टम में खामी पायी गई. भारतीय रेलगाड़ियों में यात्रा 30 से 40 घंटे तक की यात्रा करते हैं. ऐसे में शौचालय से बदबु या कोई अन्य शिकायत उनके लिए मुश्किल का सबब बन सकती है.