नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास दर 6.5 फीसद रहने का अनुमान है. वहीं पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह विकास दर 7.1 फीसदी के स्तर पर थी. जीडीपी के इन आंकड़ों से केंद्र सरकार को राहत पहुंची है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.7 फीसदी थी. लिहाजा, मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 6.5 फीसदी के अनुमान से साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा जीएसटी का असर अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. हालांकि बीते वर्ष के मुकाबले मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्रसरकार के बड़े आर्थिक फैसलों से विकास दर पर दबाव देखने को मिला है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने GDP घटने के पीछे दिया ये तर्क
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि दर के लिए सात प्रतिशत का आंकड़ा पार करना काफी कठिन है. यह तभी हो सकता है जबकि आधार को नीचे की ओर संशोधित किया जाए. तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है.’


ये भी पढ़ें: 'अगले 20 साल तक आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है भारत'


घोष ने आगे कहा कि यदि पिछले साल के विस्तार को नीचे की ओर संशोधित किया जाता है तो वृद्धि दर अधिक रह सकती है. इसी तरह की राय जताते हुए पूर्ववर्ती योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.2 से 6.3 प्रतिशत रहेगी.


अर्थशास्त्री सुगाता भट्टाचार्य बोले-टैक्स वसूली से बढ़ेगा GDP
एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सुगाता भट्टाचार्य ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) 6.6 से 6.8 प्रतिशत रहेगा. उन्होंने कहा कि हमने इसमें कर संग्रहण को शामिल नहीं किया है. यदि करों का संग्रह ऊंचा रहता है तो जीडीपी की वृद्धि दर अधिक रह सकती है. इसी तरह पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य रहे अभिजीत सेन ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहेगी. इसके लिए उन्होंने जीएसटी लागू होने के बाद कर संग्रह के मोर्चे पर आने वाली अड़चनों को जिम्मेदार बताया.


ये भी पढ़ें: देश में आने वाले समय में GDP वृद्धि दर की उम्मीद


GDP में सुधार की उम्मीद
इसी साल 2 जनवरी को एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 2017-18 के 6.5 फीसदी वृद्धि दर के मुकाबले बढ़कर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है. भारत की आर्थिक वृद्धि दर में आने वाले समय में तेजी की उम्मीद है और इसके 2019-20 में सुधरकर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है. इसका कारण माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा नोटबंदी के क्रियान्वयन के कारण जो समस्या उत्पन्न हुई थी, उससे प्रमुख क्षेत्रों का अब लगभग उबरना शुरू होना है.


एचएसबीसी ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, ‘भारत की वृद्धि दर की कहानी के दो पहलू हैं. पहला इसमें नरमी तथा अल्पकाल में पुनरूद्धार. इसका कारण जीएसटी और नोटबंदी के क्रियान्वयन के कारण उत्पन्न बाधाओं से प्रमुख क्षेत्रों का उबरना है.’ रिपोर्ट के अनुसार उसके बाद मध्यम अवधि 2019-20 और उसके बाद आर्थिक वृद्धि की बेहतर संभावना. हाल में जो संरचनात्मक सुधार हुए हैं, उसका लाभ उस समय तक मिलने की उम्मीद है. एचएसबीसी को उम्मीद है कि देश की वृद्धि दर 2017-18 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2018-19 में 7.0 प्रतिशत तथा 2019-20 में 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना है.