नई दिल्ली: Health Insurance Premium: कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है. ऐसे में लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस महंगा हो सकता है. बीमा कंपनियां कोरोना की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं.


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दरअसल, कोरोना के चलते बीमा कंपनियों की भी कमर टूट चुकी है. क्योंकि कंपनियों को कोविड से जुड़े अबतक 15,000 करोड़ रुपये के क्लेम मिल चुके हैं. बीमा कंपनियों को लगता है कि कोरोना महामारी अभी आगे भी जारी रह सकती है, इसलिए आगे क्लेम भी ज्यादा आएंगे.


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हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम 10 परसेंट बढ़ेगा?


देश में अब रोजाना 2 लाख से ऊपर कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इसी को देखते हुए जनरल इंश्योरेंस कंपनियां और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां एक बार फिर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ाने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक सभी इंश्योरेंस कंपनियों ने मिलकर इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में 10 परसेंट की बढ़ोतरी करने की मंजूरी मांगी है.


कोरोना क्लेम बढ़ने से बीमा कंपनियों पर दबाव


अगर IRDAI ने बीमा कंपनियों की सिफारिश को मान लिया तो पहले से ही परेशान लोगों के लिए खर्चों में और इजाफा हो जाएगा. बीमा कंपनियां सभी तरह के हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट में 10 परसेंट तक बढ़ोतरी करना चाहती है. दरअसल, कोरोना की वजह से इंश्योरेंस क्लेम में इजाफा हुआ है, लेकिन बीमा कंपनियों ने प्रीमियम नहीं बढ़ाया है, जिसकी वजह से उन पर काफी दबाव है. 


कोविड-19 सेस के नाम पर बढ़ेगा प्रीमियम


बीमा कंपनियां प्रीमियम में इस बढ़ोतरी को कोविड 19 सेस के नाम पर करना चाहती है. कंपनियों की दलील है कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बाद उनके क्लेम में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अब जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप चल रहा है, आगे भी क्लेम आने की संभावना है. 


अबतक 15,000 करोड़ के क्लेम मिले 


अभी तक सभी इंश्योरेंस कंपनियों के पास कोविड से जुड़े 15000 करोड रुपए के क्लेम आए है, जिसमें से वो 9000 करोड़ रुपये सेटल भी कर चुकी हैं. दरअसल, मार्च में जब इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम में बढ़ोतरी करना चाह रही थीं, तब इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने मौजूदा पॉलिसी में बेनिफिट या ऐडऑन जोड़कर प्रीमियम बढ़ोतरी करने पर रोक लगा दी थी. लेकिन इस बार कंपनियां इस दबाव को सहने के मूड में नहीं है. 


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