Kotak Mahindra Group: हिंडनबर्ग-अडानी मामले में अब सामने आया कोटक महिंद्रा ग्रुप का बयान, जानिए क्या कहा?
Gautam Adani: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी की तरफ से नोटिस भेजे जाने के बाद शॉर्ट सेलर फर्म ने कोटक महिंद्रा बैंक का नाम लिया है. अब इस मामले में कोटक महिंद्रा ग्रुप ने बयान जारी कर अपनी स्थिति साफ की है.
Kotak Mahindra on Hindenburg: हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से कोटक महिंद्रा बैंक का नाम लिये जाने के बाद ग्रुप का बयान आया है. कोटक महिंद्रा ग्रुप का कहना है कि हिंडनबर्ग उनकी कंपनी के K-इंडिया ऑपरच्युनिटीज फंड (KIOF) और कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (KMIL) से जुड़ी संस्थाओं का कभी कस्टमर नहीं रहा. साथ ही, यह भी नहीं पता था कि हिंडनबर्ग उनके किसी निवेशक का पार्टनर है. अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ और इनवेस्टमेाट रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि अरबपति बैंकर उदय कोटक ने बैंक के साथ ‘ब्रोकरेज’ कंपनी की शुरुआत की और एक अज्ञात निवेशक की तरफ से रा इस्तेमाल किए गए विदेशी कोष की देखरेख की. इसका इस्तेमाल अदाडी ग्रुप के शेयरों में गिरावट से फायदा उठाने के लिए किया गया.
मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा रेग्युलेट किया जा रहा
इस पूरे मामले के बाद कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि केएमआईएल (KMIL) और K-इंडिया ऑपरच्युनिटीज फंड (KIOF) साफ तौर पर बताते हैं कि हिंडनबर्ग न तो उनका ग्राहक रहा है और न ही कभी फंड में निवेश करने वाला निवेशक रहा है. साथ ही, यह भी जानकारी नहीं थी कि हिंडनबर्ग उनके किसी निवेशक का पार्टनर है. कोटक महिंद्रा ग्रुप की तरफ से सफाई दी गई कि K-इंडिया ऑपरच्युनिटीज फंड (KIOF) एक सेबी-रजिस्टर्ड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक है और इसको मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा रेग्युलेट किया जाता है.
फंड पूरे केवाईसी प्रोसेस का पालन करता है
उन्होंने यह भी बताया कि इस फंड की शुरुआत 2013 में विदेशी ग्राहकों को भारत में निवेश करने का मौका देने के लिए की गई थी. फंड नए ग्राहकों को जोड़ते समय उचित केवाईसी प्रोसेस का पालन करता है और इसके सभी निवेश लागू कानूनों के अनुसार किए जाते हैं. हमने अपने कामों के बारे में रेग्युलेटर के साथ सहयोग किया है और आगे भी करते रहेंगे. ग्रुप की तरफ से यह बयान हिंडनबर्ग की तरफ से किये गए उस दावे के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि कोटक महिंद्रा बैंक और उदय कोटक द्वारा स्थापित ब्रोकरेज फर्मों ने मिलकर एक विदेशी फंड की संरचना तैयार की थी. इसी फंड का इस्तेमाल अमेरिका की हिंडनबर्ग कंपनी के किसी निवेशक ने अडानी ग्रुप के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग के लिए किया था.
इससे पहले सेबी (SEBI) ने अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ एवं निवेश शोध कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ को अडानी ग्रुप के शेयरों पर दांव लगाने में कथित उल्लंघन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ‘हिंडनबर्ग’ ने अडानी ग्रुप पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया था. अमेरिकी कंपनी ने बताया कि सेबी ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उसने इस नोटिस को ‘बेतुका’ और ‘पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति के लिए गढ़ा गया’ बताया. उसने कहा कि यह ‘भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है.’