नई दिल्ली : भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के निदेशक मंडल ने मंगलवार को बताया कि उसने कर्ज के बोझ से दबे आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने के तौर-तरीके और समय सीमा को लेकर निर्णय कर लिया है. आर्थिक मामलों के सचिव और एलआईसी के निदेशक मंडल में सरकार के प्रतिनिधि एससी गर्ग ने बताया कि अभी यह प्रक्रिया पूरी की जानी है, इसलिए निदेशक मंडल ने इस संबंध में आवश्यक निर्णय लिए हैं.


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खुली पेशकश की संभावना पर विचार कर रहे
निदेशक मंडल की बैठक के बाद गर्ग ने कहा कि इसके लिए कार्यक्रम तय कर लिया गया है और खुली पेशकश की संभावना पर विचार किया जा रहा है. ‘इससे (खुली पेशकश से) छूट मिलेगी या नहीं, यह निर्णय सेबी (बाजार विनियामक) को करना है.’ गौरतलब है कि एलआईसी तरजीही शेयर के आधार पर आईडीबीआई बैंक में अतिरिक्त 7 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया में है. इसके बाद बैंक में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो जाएगी जो अभी 7.98 प्रतिशत है.



आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 85.96%
इस हिस्सेदारी खरीद से आईडीबीआई बैंक को अपनी पूंजी की तत्काल जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी. इससे उसे दूसरी तिमाही के अंत तक पूंजी के लिए नियामकीय कसौटी को पूरा करने में भी आसानी होगी. अगस्त में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईडीबीआई बैंक में एलइआईसी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की अनुमति दे दी थी. आईडीबीआई बैंक में अभी सरकार की हिस्सेदारी 85.96 प्रतिशत है.


जून 2018 में समाप्त तिमाही में बैंक का शुद्ध घाटा बढ़कर 2,409.89 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) 57,807 करोड़ रुपये है.