Mobile Finance: आजकल 10 हजार रुपये के मोबाइल भी बेहद आसानी से फाइनेंस हो रहे हैं, कई फाइनेंस कंपनियां इस बाजार में उतर चुकी है, आप भी दिवाली के ऑफर पर मोबाइल, टीवी या फ्रिज फाइनेंस कराने जा रहे हैं या ऑनलाइन ईएमआई बनवा रहे हैं तो आप सतर्क हो जाइए, बैंक या फाइनेंस कंपनियां आपसे कई तरह के हिडन चार्ज वसूलती है. जिसे व‍ह लोन देते वक्‍त नहीं बताती और जब चार्ज वसूला जाता है तो बैंक की तरफ से कहा जाता है कि आपने डॉक्यूमेंट पर साइन कर रखी है. इसलिए फाइनेंस कराने से इन बातों का जरूर ध्‍यान रखें.     


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नो-कॉस्ट ईएमआई का मॉडल (No-Cost EMI)?


आजकल कंपनियां नो-कॉस्ट ईएमआई के लिए कस्‍टमर को कई ऑप्‍शन उपलब्ध करा रही है. इसमें पहला विकल्‍प यह है कि कोई सामान बिना ईएमआई के डिस्काउंट पर बेचा जाता है. लेकिन, अगर आप नो-कॉस्ट ईएमआई का फायदा उठाना चाहते हैं, तो आपको डिस्काउंट नहीं दिया जाता है और आप ज्‍यादा कीमत पर सामान को खरीदते हैं. मान लीजिए कि किसी प्रोडक्‍ट पर आपको 10% का डिस्‍काउंट मिल रहा है और वह चीज आपको 9000  रुपये की मिल रही है. अगर आप इसे नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरीदना चाहते हैं, तो आपको इस प्रोडक्‍ट की वास्तविक कीमत पर पेमेंट करना होगा, यानी 10,000 रुपये. इसलिए, आपको 1000 रुपये का डिस्काउंट को छोड़ना पड़ता है.    


कब बेहतर रहता है नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प?


यदि आप कोई महंगा सामान खरीद रहे हैं और एक बार में पूरी राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं तो नो-कॉस्ट ईएमआई लेना आपके लिए उपयोगी हो सकता है. इसके अलावा, जब आप नो-कॉस्ट EMI विकल्प के माध्यम से कोई सामान ऑनलाइन खरीदते हैं, तो कभी-कभी व्यापारी क्रेडिट कार्ड पर छूट या कैशबैक भी दे देते हैं, ऐसे में आपको इन बातों का भी ध्‍यान रखना चाहिए. 


टर्म एंड कंडिशन का रखें ध्यान


नो-कॉस्ट ईएमआई की वजह से चीजें खरीदना आसान हो गई है. आपको फाइनेंसर की टर्म एंड कंडिशन भी जान लेना चाहिए. बैंक या फाइनेंसर कंपनियां कई हिडन चार्ज लगा देती है, जिसे आपको चुकाना होता है. 


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