Anil Ambani Mukesh Ambani Relation: मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन्स (R-Com) का टावर और फाइबर बिजनेस खरीदेंगे. यह डील 3700 करोड़ रुपये में हुई है. इसके लिए रिलायंस जियो को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से इजाजत भी मिल गई है. जियो की सहायक कंपनी रिलायंस प्रोजेक्ट्स एंड प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज रिलायंस इन्फ्राटेल (RITL) का अधिग्रहण करेगी, जिसके पास 1.78 लाख रूट किलोमीटर का फाइबर असेट और देश में 43,540 मोबाइल टावर हैं. 


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RITL पर 41,500 का कर्ज


आरआईटीएल आर-कॉम की टावर और फाइबर संपत्तियों की होल्डिंग कंपनी है. 45,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया भुगतान करने में विफल रहने के कारण इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत अनिल अंबानी ने 2019 में R-Com के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसमें से आरआईटीएल पर 41,500 करोड़ रुपये का कर्ज है.


सोमवार को ट्रिब्यूनल ने आरआईटीएल के अधिग्रहण के लिए जियो को मंजूरी दे दी. एनसीएलटी ने जियो से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एस्क्रो अकाउंट में 3720 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है ताकि आर-कॉम के टावर और फाइबर असेट के अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स ने  100 प्रतिशत वोट के साथ 4 मार्च, 2020 को Jio के रेजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी दी थी.


NCLT में किया था आवेदन


रिलायंस प्रोजेक्ट्स ने इस महीने की शुरुआत में एनसीएलटी में एक आवेदन दिया था. इसमें  कहा गया था कि राशि के वितरण को लेकर कार्यवाही लंबित होने के कारण समाधान योजना को पूरा करने में देरी हो रही है. यह भी कहा गया था कि देरी से रिलायंस इंफ्राटेल को भी गंभीर नुकसान हो रहा है और यह देरी आरआईटीएल की संपत्ति के मूल्य को खराब कर सकती है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, एसबीआई, दोहा बैंक और एमिरेट्स बैंक एंड डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर अदालत में लड़ाई लड़ रहे हैं. मामला कोर्ट में विचाराधीन है. रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स की ओर से रिलायंस इन्फ्राटेल के अप्रत्यक्ष लेनदरों के फाइनेंशियल्स क्रेडिटर्स के दावों को श्रेणीबद्ध करने को दोहा बैंक ने चुनौती दी है.


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