नई दिल्ली: नई मोदी सरकार के सामने इसबार आर्थिक मोर्चे पर तमाम चुनौतियां हैं. 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहली बार बजट पेश करेंगी. बजट से बाजार और उद्योगपतियों को काफी उम्मीदे हैं. वित्त वर्ष 2108-19 की चौथी तिमाही में विकास दर पिछले पांच सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. ठीक एक साल पहले यह विकास दर 7.2 फीसदी थी. पूरे वित्त वर्ष के लिए विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है.


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अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण सरकार की कोशिश है कि बजट ऐसा हो जिसमें हर वर्ग का ध्यान रखा जा सके. इसी के मद्देनजर बजट से पहले वित्त मंत्री 11 से 23 जून के बीच तमाम अर्थशास्त्रियों, उद्योग मंडलों और उद्योगपतियों से मुलाकात करेंगी. इसके अलावा सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी 20 जून को GST काउंसिल की होने वाली बैठक में बजट को लेकर अपने सुझाव दे सकते हैं.


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रिजर्व बैंक ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया है. भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने वर्तमान में- बैंकों पर कर्ज का बोझ, रोजगार संकट, निवेश में इजाफा नहीं होना, निर्यात का घटना, कृषि संकट, राजकोषीय घाटा, कमजोर मानसून जैसी कई समस्याएं हैं. महंगाई दर नियंत्रण में रहने के बावजूद कंजप्शन (उपभोग) काफी घट गया है, इसकी वजह से अर्थव्यवस्था गति नहीं पकड़ पा रही है. ऐसे में निर्मला सीतरमण के सामने चुनौती होगी कि राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ाए बिना वह अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकें.



सरकार की तरफ से इसको लेकर तमाम कोशिशें की जा रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने दो नई कैबिनेट कमेटी का गठन किया जिसके अध्यक्ष वे खुद हैं. एक कमेटी का गठन निवेश लाने और आर्थिक सुस्ती दूर करने के लिए गठित की गई है. वहीं, दूसरी कैबिनेट कमेटी का गठन रोजगार पैदा करना और स्किल इंडिया प्रोग्राम को सफल बनाना है.



वित्त मंत्री प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्यों के साथ बैठक कर अर्थव्यवस्था की स्थिति पर उनसे राय लेंगी. इस बैठक के साथ ही बजट पूर्व परामर्श की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इस पखवाड़े के दौरान सीतारमण कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों, बैंक तथा वित्तीय संस्थानों और उद्योग मंडलों से मुलाकात कर सकती हैं.