Byju Crisis: बर्बादी के बीच बायजू ने द‍िलाया भरोसा, एक भी रुपया लेने से पहले कर्जदाताओं का पैसा लौटाने को तैयार
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Byju Crisis: बर्बादी के बीच बायजू ने द‍िलाया भरोसा, एक भी रुपया लेने से पहले कर्जदाताओं का पैसा लौटाने को तैयार

Byju Ravindran Interview: बायजू रवींद्रन ने बताया क‍ि ज्‍यादातर कर्जदाता समझौता करना चाहते थे. लेकिन एक या दो लोग इससे बहुत ज्‍यादा फायदा कमाना चाहते थे. मौजूदा समय में बायजू दिवाला कार्यवाही से गुजर रही है.

Byju Crisis: बर्बादी के बीच बायजू ने द‍िलाया भरोसा, एक भी रुपया लेने से पहले कर्जदाताओं का पैसा लौटाने को तैयार

Byju Crisis: फाइनेंश‍ियल क्राइस‍िस से जूझ रही एडटेक कंपनी बायजू (BYJU) के फाउंडर बायजू रवींद्रन ने न‍िवेशकों को कर्जदाताओं को भरोसा द‍िलाया है. बायजू रवींद्रन ने कहा कि यद‍ि कर्जदाता उनके साथ काम करने के ल‍िए तैयार हैं तो वह उन्‍हें पूरा पैसा लौटाने के ल‍िए तैयार हैं. मीडिया से ढाई घंटे की बातचीत में रवींद्रन ने कहा कि अगर कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया जारी रहती है तो कर्जदाताओं को कोई पैसा नहीं मिलेगा.

एक या दो लोग ज्‍यादा फायदा कमाना चाहते थे

रवींद्रन ने कहा, अगर वे मेरे साथ काम करने के ल‍िए तैयार हैं तो मैं एक भी रुपया निकालने से पहले उन्हें पैसे वापस देने के ल‍िए तैयार हूं. हमने 14 करोड़ डॉलर का भुगतान किया, लेकिन वे पूरे 1.2 अरब डॉलर चाहते थे, जो हमने पहले ही निवेश कर दिए थे. उन्‍होंने बताया ज्‍यादातर कर्जदाता समझौता करना चाहते थे. लेकिन एक या दो लोग इससे बहुत ज्‍यादा फायदा कमाना चाहते थे. मौजूदा समय में बायजू दिवाला कार्यवाही से गुजर रही है.

कंपनी ने बीसीसीआई के साथ विवाद को सुलझा लिया
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की तरफ से अपने 158.9 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के लिए एनसीएलएटी (NCLT) से संपर्क करने के बाद दिवाला कार्यवाही शुरू हुई. कंपनी ने पूरा बकाया को चुकता करने के बाद बीसीसीआई के साथ विवाद को सुलझा लिया. इसके बाद एनसीएलएटी ने दिवाला कार्यवाही रद्द कर दी. हालांकि, अमेरिकी कर्जदाताओं ने अपने एजेंट ग्लास ट्रस्ट के जर‍िये एनसीएलएटी के आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी, जिसने बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही बहाल कर दी.

बायजू रवींद्रन ने फाइनेंश‍ियल क्राइस‍िस को लेकर कहा जब कंपनी मुश्किल वक्त में थी, उसी समय निवेशक मझधार में छोड़कर भाग गए. उस समय कंपनी के बोर्ड ने 6-0 की सहमति से सभी प्रमुख अधिग्रहण और विस्तार योजनाओं को मंजूरी दी थी. लेकिन आज वही लोग तुरंत आलोचना करने लगते हैं. उन्होंने कहा मुश्किल वक्त में निवेशक भाग गए, जिससे कंपनी की मुश्किलें बढ़ गईं. तीन निवेशकों के एक साथ बोर्ड छोड़ने से नया फंड जुटाना मुश्‍क‍िल हो गया. इन लोगों के जाने से कंपनी की क्षमता पर असर पड़ा. (इनपुट भाषा से भी)

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