नई दिल्लीः नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों से हिमालय में रहने वाले योगी से मार्गदर्शन लिया था, यहां तक ​​कि उस समय भी जब वह एक्सचेंज का नेतृत्व कर रही थीं. सेबी के एक आदेश के अनुसार, रामकृष्ण ने स्वीकार किया है कि पिछले 20 वर्षों से, उन्होंने कई व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों पर अज्ञात व्यक्ति से मार्गदर्शन मांगा. चित्रा ने सारे बड़े फैसले इसी योगी के कहने पर लिए. इन्हीं फैसलों में से एक था आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति का फैसला. 


कौन हैं आनंद सुब्रमण्यम?


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चित्रा रामकृष्ण के इस फैसले की चर्चा अब चारों तरफ हो रही है. आनंद सुब्रमण्यम को NSE में बहुत बड़ी सैलरी हाइक के साथ नियुक्त तो किया ही गया, साथ ही उन्हें मनमाने तरीके से प्रमोट भी किया गया. योगी के कहने पर उन्हें NSE में नंबर 2 बना दिया गया था. आइये आपको बताते हैं आनंद सुब्रमण्यम के बारे में...


1000% Hike के साथ मिली थी नौकरी


NSE में पारी शुरू करने से पहले आनंद सुब्रमण्यम एक आम इंसान थे. वे Balmer Lawrie और ICICI group के एक ज्वाइंट वेंचर में कार्यरत थे. उनका पैकेज 14 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा था. अप्रैल, 2013 में उन्हें NSE में एंट्री मिली. वो भी MD और CEO के चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर (CSA) के तौर पर. उन्हें 1.38 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज का ऑफर मिला था. जो कि उनकी पिछली सैलरी से करीब 1000% ज्यादा का हाइक था. वे चित्रा रामकृष्णा के बगल वाली केबिन में काम करने लगे. कंपनी में सब जान गए थे कि सुब्रमण्यम की हैसियत नंबर 2 की है.


बिना एक्सपीरिएंस के बढ़ती रही सैलरी.. मिलता रहा प्रमोशन


सुब्रमण्यम को कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव नहीं था. इसके बावजूद भी उन्हें सैलरी हाइक और प्रमोशन मिलता रहा. उनका पैकेज दो साल के भीतर 2016 तक बढ़कर 4.21 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इतना ही नहीं उन्हें ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी.


आनंद सुब्रमण्यम को मिली थी कई सहूलियत


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुब्रमण्यम को इस दौरान कई सहूलियत मिली हुई थी. इनमें से ही एक थी मुंबई के साथ-साथ चेन्नई से भी काम करने की सहूलियत. पूरा सेटअप बिठाने के लिए खास इंतजाम किए गए थे. आनंद के GOO बनने के बाद भी उन्हें यह सुविधा मिलती रही.


अक्टूबर 2016 में देना पड़ा इस्तीफा


NSE की ऑडिट कमेटी की जांच के बाद सामने आया कि सुब्रमण्यम की नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी. जांच रिपोर्ट के रिव्यू के बाद फैसला लिया गया कि सुब्रमण्यम को अपने पद से इस्तीफा देना होगा. अगले एक घंटे में ही सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया था.


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