नई दिल्ली: ओला (Ola) और उबर (Uber) जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियां पीक आवर्स के दौरान किराए में कई गुना बढ़ोतरी कर देती हैं. लेकिन अब सरकार ने इन कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. सरकार ने शुक्रवार को ओला (Ola) और उबर (Uber) जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है. अब ये कंपनियां मूल किराए के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार का यह कदम अहम इसलिए भी हो जाता है, क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराए पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे. बता दें कि ये पहली बार है जब भारत में ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को रेग्यूलेट करने के लिए सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं. 


ये भी पढ़ें- 2021 में Ola की ये नई लॉन्चिंग, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में हो सकती है साझेदारी


दिशानिर्देश में बदलाव
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 (Motor Vehicle Aggregators Guidelines 2020) के अनुसार, ‘एग्रीगेटर कंपनियों को मूल किराए के 50 प्रतिशत तक न्यूनतम किराए और डेढ़ गुने तक अधिकतम किराए वसूलने की मंजूरी दी जाती है.’


कैब ड्राइवर को होगा फायदा
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक सवारी (राइड) पर लागू किराए का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा एग्रीगेटर के साथ जुड़े वाहन के चालक को मिलेगा. शेष हिस्सा एग्रीगेटर कंपनियां रख सकती हैं.


LIVE TV
मंत्रालय ने कहा कि जिन राज्यों में शहरी टैक्सी का किराया राज्य सरकार ने निर्धारित नहीं किया है, वहां किराया विनियमन के लिए 25-30 रुपये को मूल किराया माना जाएगा. राज्य सरकारें एग्रीगेटर द्वारा जोड़े गए अन्य वाहनों के लिए इसी तरह से किराया निर्धारित कर सकती हैं.