कोलकाता : कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि की कटौती के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस संबंध में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के साथ इससे जुड़े मुकदमों में कमी आएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ईपीएफ बकाया की गणना के लिये नियोक्ता द्वारा दिये जाने वाले विशिष्ट भत्तों को मूल वेतन का हिस्सा माना जाएगा. उल्लेखनीय है कि वर्तमान में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों ही मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफओ में जमा करते हैं.


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ईपीएफ अधिनियम की मौजूदा धाराओं को बरकरार रखा
स्थानीय भविष्य निधि आयुक्त (आरपीएफसी) नवेंदू राय ने आईसीसी द्वारा ईपीएफ अधिनियम पर आयोजित एक संगोष्ठी से इतर कहा, 'आदेश में ईपीएफ अधिनियम की मौजूदा धाराओं को बरकरार रखा गया है. इस फैसले के बाद उम्मीद है कि पीएफ कटौती से संबंधित मुकदमों में कमी आएगी.'



उच्चतम न्यायालय का यह फैसला इस सवाल की सुनवाई पर आया कि किसी प्रतिष्ठान द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले विशिष्ट भत्तों को कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के तहत पीएफ कटौती की गणना के लिए मूलभूत वेतन में शामिल माना जाएगा. केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त एस.के.संगमा ने बताया कि किसी कर्मचारी के पुराने नियोक्ता का भविष्य निधि बैलेंस अब स्वत: ही हस्तांतरित हो जाएगा.