Petrol Price: पेट्रोल-डीजल के आठ महीने से नहीं बदली कीमत, अब पेट्रोलियम मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम
Diesel Price: पेट्रोलियम मंत्रालय कच्चे माल की लागत बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम को पिछले आठ महीने से एक ही स्तर पर बरकरार रखने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों को हुए नुकसान के एवज में वित्त मंत्रालय से क्षतिपूर्ति मांगेगा.
पिछले आठ महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ी है. ऐसे में ईंधन कंपनियां घाटे की बात बार-बार कह रही है. इस बीच एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय कच्चे माल की लागत बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम को पिछले आठ महीने से एक ही स्तर पर बरकरार रखने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों को हुए नुकसान के एवज में वित्त मंत्रालय से क्षतिपूर्ति मांगेगा.
IOC, BPCL और HPCL को अप्रैल-सितंबर के दौरान संयुक्त रूप से 21,201.18 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है. खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों को एलपीजी सब्सिडी मद की 22,000 करोड़ रुपये की राशि मिलनी थी. अगर खाते में इसका प्रावधान नहीं किया गया होता, तो उनका नुकसान और ज्यादा होता.
वहीं अधिकारी का कहना है, ‘‘पहली छमाही का नुकसान सार्वजनिक है. इसमें अगर एलपीजी सब्सिडी को जोड़ दिया जाए, आप उनके नुकसान का आकलन कर सकेंगे.’’ उन्होंने कहा कि कीमतों को नहीं बढ़ाने से उच्च मुद्रास्फीति में और वृद्धि नहीं हुई और इससे अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है. ऐसे में अब पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को (OMC) को क्षतिपूर्ति किए जाने की जरूरत है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘पेट्रोल और डीजल के दाम अब नियंत्रण के दायरे में नहीं है. यानी सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है. ऐसे में पेट्रोलियम विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के मानक के आधार पर दैनिक आधार पर दाम तय करने को स्वतंत्र हैं. लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से दाम को यथावत रखने का निर्णय किया.’’ अब पेट्रोलियम मंत्रालय पूरे वित्त वर्ष में होने वाले नुकसान का आकलन करेगा. उसके बाद वित्त मंत्रालय के पास क्षतिपूर्ति के लिए जाएगा.
बता दें कि ईंधन के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरम होने के बावजूद तीनों खुदरा तेल कंपनियों को अब भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने छह अप्रैल से कीमतों में बदलाव नहीं किया जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गयी थीं. सरकार ने अक्टूबर में तीनों कंपनियों को घरेलू रसोई गैस एलपीजी पर जून, 2020 से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकबारगी अनुदान के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे.