Piyush Goyal: कारोबार‍ियों की तरफ से लंबे समय से स‍िंगल व‍िंडो (Single Window System) की मांग की जा रही है. अब सरकार के रुख से लग रहा है क‍ि ब‍िजनेसमैन की यह सालों पुरानी मांग जल्‍द पूरी हो सकती है. अगर आप खुद कारोबार करते हैं तो सरकार की तरफ से क‍िये गए इस ऐलान से आप भी खुश हो जाएंगे. केंद्र और राज्‍य सरकार के विभागों की तरफ से अलग- अलग मंजूरियों के लिए स‍िंगल व‍िंडो स‍िस्‍टम (Single Window System) के तहत आवेदन करने के लिए पैन नंबर (PAN) के यूज की इजाजत देने पर विचार क‍िया जा रहा है.


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पैसा और समय दोनों ज्‍यादा लगता है
सरकार की तरफ से इसे अमल में लाया जाता है तो कारोबार‍ियों को इसका सबसे ज्‍यादा फायदा म‍िलेगा. दरअसल, अभी क‍िसी भी कारखाने या प्रोसेस प्‍लांट आद‍ि को शुरू करने से पहले सरकार की तरफ से अलग-अलग व‍िंडो से कई मंजूर‍ियां लेनी पड़ती हैं. इसमें पैसा और समय दोनों ही ज्‍यादा लगता है. अब यद‍ि यह व्‍यवस्‍था शुरू होती है तो इससे समय की बचत हो सकेगी और काम जल्‍दी शुरू हो सकेगा.


रेवेन्‍यू ड‍िपार्टमेंट से संपर्क क‍िया
आपको बता दें फ‍िलहाल ईपीएफओ (EPFO), ईएसआईसी (ESIC), जीएसटीएन (GSTN), टिन (TIN), टैन (TAN) और पैन (PAN) जैसी 13 से ज्‍यादा ब‍िजनेस आईडी हैं, जिनका इस्‍तेमाल अभी तक विभिन्न सरकारी अनुमोदनों के आवेदन करने के ल‍िए क‍िया जाता रहा है. कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री म‍िन‍िस्‍टर पीयूष गोयल ने कहा कि उनका मंत्रालय पहले ही इस मामले में रेवेन्‍यू ड‍िपार्टमेंट (Revenue Department) से संपर्क कर चुका है.


गोयल ने कहा, 'हम मौजूदा डेटाबेस में से क‍िसी एक के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं और यह संभवत: पैन नंबर होगा. यह सरकार के पास पहले से मौजूद है और कंपनी के बारे में बहुत सारे बुनियादी आंकड़े, इसके निदेशक और पते आद‍ि की जानकारी पहले से ही उपलब्ध है.' स‍िंगल व‍िंडो स‍िस्‍टम का मकसद विभिन्न मंत्रालयों को सूचना देने की प्रक्रिया में दोहराव को कम करना, अनुपालन बोझ को कम करना, परियोजनाओं की अवधि में कटौती करना और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना है. (इनपुट भाषा से भी)