नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार (15 जनवरी) को इजरायली रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को भारत में स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में ही उत्पादन कार्य करने के लिये आमंत्रित किया. प्रधानमंत्री ने भारत यात्रा पर आए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ महत्वपूर्ण सामरिक मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की. इजरायली प्रधानमंत्री ने मोदी को ‘‘क्रांतिकारी नेता’’ बताया. दोनों देशों के बीच इससे पहले साइबर सुरक्षा और तेल एवं गैस सहित विभिन्न अहम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. यह समझौते दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की विस्तृत बातचीत के बाद किये गये.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बातचीत के दौरान यरुशलम के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा इजरायल के खिलाफ मतदान करने का मुद्दा भी उठा. इस बारे में भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि भारत-इजरायल संबंध ‘‘किसी एक मुद्दे से तय नहीं होते हैं.’’ भारत ने यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के अमेरिका के फैसले के विरोध में संयुक्त राष्ट्र में पिछले महीने लाये गये प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया था. भारत के साथ दुनिया के 127 अन्य देशों ने विरोध प्रस्ताव का समर्थन किया था.


भारत-इजरायल के रिश्ते नए शिखर पर, साइबर सुरक्षा सहित 9 अहम समझौतों पर करार


प्रधानमंत्री मोदी ने नेतन्याहू के साथ अपनी बातचीत को ‘‘व्यापक व गहन ’’ बताते हुये कहा कि उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की और इस बात पर सहमति जताई कि उनके बीच जो भी संभावनायें और अवसर दिखते हैं उनका लाभ उठाया जाना चाहिये. द्विपक्षीय बैठक के बाद आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा, ‘‘हम हमारे लोगों के जीवन को संवारने वाले क्षेत्रों में सहयोग के मौजूदा स्तंभों को और मजबूत बनायेंगे. इन क्षेत्रों में कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सुरक्षा के क्षेत्र है. .... रक्षा क्षेत्र में मैंने इजरायली कंपनियों को भारत की उदार एफडीआई नीति का लाभ उठाने के लिये आमंत्रित किया है ताकि वे हमारी कंपनियों के साथ मिलकर भारत में और भी ज्यादा उत्पादन करें.’’


मोदी-नेतन्याहू वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद में लगे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे संगठनों सेवैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए बढ़ रहे खतरों परविचार किया. उन्होंने इस बात को दोहराया कि आतंकवाद को किसी भी तरह से जायज नहीं कहा जा सकता. संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने आतंकवादियों, आतंकवादी संगठनों, आतंकवाद को प्रायोजित, प्रोत्साहित और उनका वित्तपोषण करने वालों, आतंकवादियों और उनके संगठनों को आश्रय देने वालों के खिलाफ कठोर उपाय करने कीजरूरत पर बल दिया.


VIDEO: नरेंद्र मोदी का देश में और आर्थिक सुधारों का वादा, इजरायली कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता


संवाददाता सम्मेलन में नेतन्याहू ने कहा, ‘‘भारत और इजरायल के लोग आतंकवादी हमलों के दर्द को अच्छी तरह से समझते हैं. मुंबई में हुआ भयानक आतंकवादी हमला हमें याद है, हमने उसका जवाब दिया, कभी ऐसे हमलों के आगे नहीं झुके.’’ वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर भी गौर किया कि आंतरिक और सार्वजनिक सुरक्षा पर गठित संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक फरवरी 2018 में होगी. उन्होंने साइबर सुरक्षा सहित आतंकवाद का मुकाबला करने के क्षेत्र में होने वाले वृहद सहयोग की महत्व को दोहराया.


करोड़ों डॉलर की इजरायली मिसाइल स्पाइक के सौदे को लेकर बातचीत के बारे में एक सवाल काविदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) विजय गोखले ने सीधा कोईजवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग पर विचार विमर्श हुआ. उन्होंने किसी सौदे के बारे में कुछ नहीं कहा. रक्षा सहयोग के मुद्दे पर वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों प्रधानमेंत्रियों ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ साथ संयुक्त शोध एवं विकास के क्षेत्र में भागीदारी और संयुक्त उद्यम तथा संयुक्त विनिर्माण जैसे नये व्यावसायिक तौर तरीके विकसित करने को महत्वपूर्ण बताया. इस संबंध में दोनों नेताओं ने अपने अपने रक्षा मंत्रालयों से इस साल बातचीत और विचार विमर्श करने को कहा जिसमें सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र को भी सक्रिय रूप से भागीदार बनाया जा सके.


(इनपुट एजेंसी से भी)