Privatisation News in India: केंद्र सरकार (Central Government) एक और सरकारी कंपनी में हिस्सेदारी बेचने (privatisation) का प्लान बना रही है. लगातार बैंकों और सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचा जा रहा है. सरकार चालू वित्त वर्ष में 50,000 करोड़ रुपये के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले महीने तक हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (hindustan zinc limited privatisation) में अपनी शेष हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेच सकती है. दीपम सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी है. 


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क्यों बेची जा रही है हिस्सेदारी?
सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 में तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एचएलएल लाइफकेयर, पीडीआईएल, शिपिंग कॉरपोरेशन और बीईएमएल जैसी कंपनियों में रणनीतिक हिस्सेदारी की योजना बनाई है.


सरकार के पास है 29.5 फीसदी हिस्सेदारी
सरकार के पास इस समय हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में 29.54 फीसदी हिस्सेदारी है. सरकार ने 2002 में एचजेडएल का 26 फीसदी हिस्सा खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह को बेच दिया था.


नवंबर में इस कंपनी में बेची हिस्सेदारी
वेदांता समूह ने बाद में नवंबर, 2003 में बाजार से 20 फीसदी और सरकार से 18.92 फीसदी हिस्सा और खरीदा है. इसके बाद एचजेडएल में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 फीसदी हो गई है. कंपनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जस्ता उत्पादक और छठवीं सबसे बड़ी चांदी उत्पादक है.


घटाया विनिवेश का लक्ष्य
सरकार ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए विनिवेश लक्ष्य को 65,000 करोड़ रुपये से घटाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दिया था. चालू वित्त वर्ष में अभी तक विनिवेश के जरिये 31,100 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.


दीपम सचिव ने दी जानकारी
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव पांडेय ने पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में बताया है कि संशोधित लक्ष्य में वे सभी लेनदेन शामिल हैं, जिनपर सरकार काम कर रही है, लेकिन वास्तविक प्राप्ति बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा है कि हमने एचजेडएल से जो जुटाने के लिए सोचा है, वह इसमें शामिल है. हालांकि, यह बाजार पर निर्भर करेगा.


29.54 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मिली मंजूरी
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने मई में एचजेडएल में सरकार के 124.79 करोड़ शेयरों या 29.54 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दी थी. सरकार को 325.45 रुपये प्रति शेयर के मौजूदा भाव पर 29.54 फीसदी हिस्सेदारी से करीब 40,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.


बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है विनिवेश
पांडेय ने कहा कि विनिवेश बाजार की स्थितियों पर निर्भर है, इसलिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि जो बजट है, वह हासिल हो जाएगा. उन्होंने कहा है कि यह मद अनिश्चित रहेगा. पांडेय ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार सक्रिय रूप से उन कंपनियों पर नजर रख रही है, जो रणनीतिक बिक्री के उन्नत चरणों में हैं. इसमें एचएलएल लाइफकेयर, पीडीआईएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, बीईएमएल और एनएमडीसी स्टील शामिल हैं. इसके अलावा फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की बिक्री पूरी होने की उम्मीद है, लेकिन बिक्री से मिलने वाली राशि मूल कंपनी एमएसटीसी को मिलेगी न कि सरकार को. उन्होंने कहा है कि हमारे पास आईडीबीआई बैंक है और उम्मीद है कि हम जल्द ही कॉनकॉर के लिए रुचि पत्र जारी कर पाएंगे.


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